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Pratapgarh: बच्चे के मुख से संस्कृत में बीमारी का नाम सुन चौंके डॉक्टर, 12 साल में ही कर दिया है कमाल

Pratapgarhसीएचसी कुंडा में शुक्रवार को प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. राजीव त्रिपाठी की ओपीडी में पहुंचे 12 वर्षीय बालक ने अभिवादन करने के बाद जब संस्कृत में अपनी बीमारी बताई तो वह चौंक गए। बालक हिंदुस्तानी वेशभूषा में रहा और मस्तक पर त्रिपुंड लगाए हुए था। बाद में उसने डॉक्टर को हिंदी में अपनी बीमारी के बारे में बताया। इस बच्चे का नाम आनंद पांडेय है।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 17 Feb 2024 11:55 AM (IST)
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सीएचसी कुंडा में चिकित्सक के समक्ष संस्कृत में बताई गई बीमारी का अनुवाद करते आनंद पांडेय। जागरण।
संवाद सूत्र, कुंडा। सीएचसी कुंडा में शुक्रवार को प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. राजीव त्रिपाठी की ओपीडी में पहुंचे 12 वर्षीय बालक ने अभिवादन करने के बाद जब संस्कृत में अपनी बीमारी बताई तो वह चौंक गए। बाद में उसने हिंदी में बीमारी बताई तब चिकित्सक ने उन्हें दवाएं दीं।

बालक हिंदुस्तानी वेशभूषा में रहा और मस्तक पर त्रिपुंड लगाए हुए था। अत्तानगर कुंडा निवासी अमरेश पांडेय का 12 वर्षीय पुत्र आनंद पांडेय अपने मस्तक पर त्रिपुंड लगाए, कुर्ता धोती पहने अपनी मां वेदवती पांडेय के साथ शुक्रवार को सीएचसी प्रभारी डा. राजीव त्रिपाठी के कक्ष में पहुंचा।

संस्कृत में बताई अपनी बीमारी

चिकित्सक से बच्चे ने अभिवादन किया। जब आने का कारण पूछा तो आनंद ने रोज की दिनचर्या में शामिल संस्कृत भाषा में अपनी बीमारी बता डाली। यह सुनते ही चिकित्सक समझ नहीं पाए कि आखिर यह कौन सी बीमारी है। यह देख आनंद ने समझ लिया कि चिकित्सक को उनकी बात समझ में नहीं आई। इसके बाद उन्होंने भी हिंदी में अनुवाद कर बीमारी बताई। इसके बाद चिकित्सक ने उन्हें दवाएं दीं।

बाबा की इच्छा पूरा करने को संस्कृत विद्यालय में लिया प्रवेश

आज जहां लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाने को विद्यालयों में प्रवेश दिला रहे हैं। वहीं कुंडा नगर के अत्ता नगर मोहल्ले में एक ऐसा भी परिवार है, जिनके तीनों बच्चे बाबा की आखिरी इच्छा पूरी कने के लिए संस्कृत विद्यालय में प्रवेश लेकर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। अमरेश पांडेय के तीन बेटे हैं। श्याम, अज्ञय तथा आनंद। तीनों भाइयों ने संस्कृत विद्यालय में प्रवेश लिया है।

सामने वाले को संस्कृत समझने में करनी पड़ती है मशक्कत

अब तीनों भाइयों के दिनचर्या में शामिल संस्कृत की भाषा सामने वाले को समझने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। आनंद ने बताया कि उनके पिता गाड़ी चालक है। आनंद ने बताया कि हम तीनों भाइयों ने यह ठान लिया कि वह अपने बाबा स्व. इंद्र नारायण पांडेय की आखिरी इच्छा जरूर पूरी करेंगे। हमें लोगों से नहीं अपने लक्ष्य से मतलब है। 12 वर्षीय बालक की बात सुनकर कक्ष में मौजूद डा. रोहित सिंह, डा. जीतेंद्र बहादुर सिंह ने सराहना की।

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