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UP Lok Sabha Seat: यूपी के इस लोकसभा सीट पर वोटरों की बढ़ी उलझन, राजा भैया के एक बयान से कांटे का हुआ मुकाबला

कौशांबी लोकसभा में पांच विधानसभाएं आती हैं। मंझनपुर चायल और सिराथू विधानसभा कौशांबी जनपद में है। कुंडा और बाबागंज विधानसभा प्रतापगढ़ जनपद में है। बाबागंज विधानसभा में 173984 पुरुष 153467 महिला और 46 थर्ड जेंडर हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 327407 है। कुंडा विधानसभा में 194237 पुरुष 171592 महिला और 113 थर्ड जेंडर हैं। 365942 मतदाता अपने सांसद को चुनने के लिए वोट डालेंगे।

By ramesh yadav Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 15 May 2024 08:57 AM (IST)
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राजा भैया ने कौशांबी सांसद को चुनने का दायित्व सीधे वोटरों के कंधों पर छोड़ दिया है।

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़। कौशांबी (सुरक्षित) लोकसभा के लिए 20 मई को होने वाले चुनाव में इस बार भी कांटे का मुकाबला होगा। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कौशांबी सांसद को चुनने का दायित्व सीधे वोटरों के कंधों पर छोड़ दिया है।

उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी किसी दल के साथ नहीं है। इससे वोटरों की उलझन और बढ़ गई है। इसके साथ ही भाजपा, सपा और बसपा के नेताओं की जिम्मेदारी और बढ़ जाएगी, वोटरों को रिझाने के लिए।

कौशांबी लोकसभा में पांच विधानसभाएं आती हैं। मंझनपुर, चायल और सिराथू विधानसभा कौशांबी जनपद में है। कुंडा और बाबागंज विधानसभा प्रतापगढ़ जनपद में है। बाबागंज विधानसभा में 1,73,984 पुरुष, 1,53,467 महिला और 46 थर्ड जेंडर हैं।

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मतदाताओं की कुल संख्या 3,27,407 है। कुंडा विधानसभा में 1,94,237 पुरुष, 1,71,592 महिला और 113 थर्ड जेंडर हैं। 3,65,942 मतदाता अपने सांसद को चुनने के लिए वोट डालेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर को 3,83,009, सपा प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज को 3,44,287 और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार 1,56,406 वोट हासिल हुए थे।

पिछले एक महीने से कौशांबी की राजनीति गरमाई हुई है। भाजपा ने दो बार के सांसद विनोद सोनकर को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने मंझनपुर विधायक इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज पर दांव चला है। बसपा ने शुभ नारायण गौतम को टिकट दिया है।

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यह माना जाता है कि कुंडा और बाबागंज विधानसभा में जिस प्रत्याशी को जनता जनार्दन का आशीर्वाद मिल जाता है, उसके सिर पर ताज रहता है। इन दोनों विधानसभाओं पर रघुराज प्रताप सिंह का दबदबा कई साल से है। इसलिए उनका रुख हमेशा अहम रोल निभाता है। तीन बार इनके करीबी शैलेंद्र कुमार सांसद भी रह चुके हैं।

सबकी नजर रही रघुराज की तरफ

इस बार जनसत्ता दल ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया तो इसके बाद से ही यहां पर अटकलों का बाजार गरम हो गया था। पिछले दिनों रघुराज की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बेंगलुरु में हुई मुलाकात के कई मायने निकाल जा रहे थे। 12 मई को जब हीरागंज के मां नायर देवी धाम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा हुई तो एक बार भी रघुराज प्रताप सिंह की तरफ देखा जा रहा था।

उनकी सभा के बाद शाम को ही पार्टी की बैठक 14 मई को बुला ली गई। माना जा रहा था कि इसमें हो सकता है पार्टी किस दल के साथ रहेगी, इस पर कोई निर्णय हो, ऐसा नहीं हो सका। सुबह से लेकर देर शाम तक पूरे देश की नजर उनकी तरफ लगी हुई थी। उनके निर्णय ने जनसत्ता दल के समर्थकों और वोटरों के लिए परेशानी बढ़ा दी है। अब उन्हें योग्य सांसद का खुद चयन करना है।

हमेशा चलते रहे शब्दों के तीर

कौशांबी सांसद विनोद सोनकर हमेशा आरोप लगाते रहे कि कुंडा और बाबागंज विधानसभा का समुचित विकास नहीं हो पाया। इसके लिए वह रघुराज प्रताप सिंह को कठघरे में खड़ा करते रहे। इस प्रकार पिछले लोकसभा चुनाव में जब इंद्रजीत सरोज चुनाव लड़े और इस बार जब बेटे को टिकट मिला तो वह भी रघुराज प्रताप सिंह पर निशाना साधते रहे।

अंत में उन्होंने अपने शब्दों की खटास को खत्म करके रघुराज प्रताप सिंह से मिलकर अपने लिए समर्थन मांगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि पुराने संबंधों को देखते हुए भी रघुराज ने किसी दल के साथ न जाने का निर्णय लिया। इसके अलावा और भी कई राजनीतिक कारण हो सकते हैं। इसके बारे में कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है।

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