राम मंदिर: 1990 में जिन्होंने खाई थी लाठी… वे आज कहां हैं? गोली चली तो साधु ने दी थी पनाह, पैदल पहुंचे थे अयोध्या
इस समय राम मंदिर के शुभ उद्घाटन की चर्चा चारों तरफ है। ऐसे में राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए इस दल में शामिल लोग अपने संस्मरण लोगों को सुनाकर उत्साहित कर रहे हैं। वर्ष 1990 में अयोध्या में कारसेवा के लिए पट्टी के आधा दर्जन से अधिक लोगों ने यहां से पैदल वहां पहुंचने की ठान ली। पगडंडी व खेतों से पैदल ही अयोध्या पहुंच गए।
पगडंडी के रास्ते पहुंचे शिवगढ़
नगर निवासी श्रीरामजी लाल खंडेलवाल सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार खंडेलवाल के साथ अयोध्या में कारसेवा के लिए सात अन्य लोग यहां से गए थे। इसमें सुरेश कुमार जायसवाल, इनके भाई रामचंद्र जायसवाल, हरिश्चंद्र बरनवाल, राज कुमार मोदनवाल, भरत लाल बरनवाल, सर्वजीतपुर निवासी दिनेश प्रताप सिंह व स्व. ओम प्रकाश पांडेय सहित कुल आठ लोग 28 अक्टूबर 1990 की शाम पांच बजे दशरथपुर होते हुए खेत व पगडंडी के रास्ते शिवगढ़ पहुंचे। रात वहीं पर विश्राम किया।कारसेवकों पर चल रही थी लाठी
गोली चली तो साधु ने दी पनाह
लाठीचार्ज के दौरान अनिल कुमार खंडेलवाल के पैर में चोट लग गई थी। बाद में गोली चलने की सूचना के बाद कारसेवकों को पुलिस द्वारा अयोध्या से निकालकर बस पर बैठाकर घर वापस भेजा जाने लगा। यह सभी लोग भागकर मणिराम छावनी पहुंचे, वहां पर एक साधु के आश्रम में शरण मिली। तब जाकर राहत की सांस ली। बाद में पुलिस ने इन्हें भी रोडवेज बस से बिठाकर प्रतापगढ़ भेज दिया और वे घर वापस चले आए।राम मंदिर बनने पर ऐसे जताई खुशी
भगवान राम के प्रति आस्था के चलते अयोध्या में कारसेवा के आह्वान पर हम लोग कूच कर गए थे। रास्ते में लोगों ने बहुत मदद की।
-अनिल कुमार खंडेलवाल, पट्टी।
अयोध्या में कारसेवा के आह्वान के बाद जब प्रशासन ने कार सेवकों को रोकने के लिए जगह-जगह उनकी गिरफ्तारी शुरू कर दी। इसको हमने धता बता दी।
-सुरेश कुमार जायसवाल, पट्टी।
भगवान राम के कार्य में सहयोग के जज्बे को याद कर रहे हैं। आज भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो गया है। मन प्रफुल्लित है।
-दिनेश कुमार सिंह, सर्वजीतपुर।
आज भगवान राम के मंदिर निर्माण के बाद उसमें प्राण प्रतिष्ठा की सूचना से हृदय गदगद हो उठा है। आज के 33 वर्ष पूर्व हम लोग कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे।
-हरिश्चंद्र बरनवाल, पट्टी।