Prayagraj News: डाक विभाग की योजनाओं के नाम पर करोड़ों का गबन, पोस्टमास्टर समेत 12 निलंबित
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां डाक विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रथमदृष्टया पोस्टमास्टर समेत 12 कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। हालांकि अभी जांच चल रही है। कई और पर भी गाज गिरने की पूरी संभावना है। बता दें डाक निदेशक गौरव श्रीवास्तव ने सात सदस्यीय जांच टीम गठित कर पड़ताल कराई थी।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। डाक विभाग की कई योजनाओं के नाम पर दारागंज डाकघर के अभिकर्ता द्वारा करोड़ों रुपये का गबन किए जाने का मामला सामने आया है। डाक निदेशक गौरव श्रीवास्तव ने सात सदस्यीय जांच टीम गठित कर पड़ताल कराई।
प्रथमदृष्टया पोस्टमास्टर समेत 12 कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। हालांकि, अभी जांच चल रही है। कई और पर भी गाज गिरने की पूरी संभावना है।
दारागंज डाकघर के अभिकर्ता निखिल श्रीवास्तव की दो माह पहले मौत हो गई। इसके बाद पता चला कि उसने करोड़ों रुपये का गबन किया था। किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र, मंथली इनकम स्कीम आदि योजनाओं के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों से रुपये लिए, लेकिन उनका खाता डाकघर में नहीं खुलवाया।
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उसने लोगाें को फर्जी पासबुक दिया। इस पर फर्जी अकाउंट नंबर भी था। निर्धारित समय पर लोगों को ब्याज और रिटर्न भी देता था। यही वजह थी कि लोगों ने इस बारे में डाकघर में जाकर कुछ पता भी नहीं किया। उसकी मौत के बाद लोग डाकघर पहुंचे तो मामला सामने आया, जिस पर 40 से अधिक लोगों ने डाक निदेशक गौरव श्रीवास्तव को प्रार्थना पत्र दिया।
मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने जांच के लिए सात सहायक डाक अधीक्षकों (एएसपी) की टीम गठित की। बुधवार देर शाम इसकी रिपोर्ट आई। डाक निदेशक ने इसे बिंदुवार परखा। इसके बाद रात को दारागंज डाकघर के पोस्टमास्टर पीएस दुबे समेत 12 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया।
इसमें वर्तमान के साथ ही दो पूर्व खजांची, दो पूर्व पोस्टमास्टर, दो बाबू भी शामिल है। दारागंज डाकघर में हुई कार्रवाई के बाद अब सिर्फ दो कर्मचारी ही बचे हैं। डाक निदेशक गौरव श्रीवास्तव का कहना है कि दारागंज डाकघर के पोस्टमास्टर, खजांची समेत 12 कर्मचारियों को निलंबित किया गया है।2013-14 से अब तक जिन कर्मचारियों की तैनाती दारागंज डाकघर में थी, सभी की भूमिका की जांच कराई गई और फिर कार्रवाई की गई। अभी जांच चल रही है।
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गबन का दर्ज कराया जाएगा मुकदमादारागंज डाकघर के अभिकर्ता निखिल श्रीवास्तव द्वारा करोड़ों रुपये के किए गए गबन का मामले में रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी। इसमें कौन-कौन नामजद होगा, यह अभी साफ नहीं है। विभागीय अधिकारी भी स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन यह तय है कि जल्द ही थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
कृष्णा महेंद्रू से बताया था सचकृष्णा महेंद्रू नाम की महिला ने निखिल श्रीवास्तव को 7.5 लाख रुपये मंथली इनकम स्कीम (एमआइएस) के तहत दिया था। कृष्णा महेंद्रू को लगातार ब्याज भी मिल रहा था। जनवरी से उन्हें ब्याज नहीं मिला तो अप्रैल में वह डाकघर गई। पासबुक दिखाया तो कर्मचारियों ने बताया कि उनके नाम अकाउंट नहीं है। वह निखिल के घर गईं तो वह बीमार था और अंतिम सांस ले रहा था। कृष्णा महेंद्रू ने उससे पूछा तो बताया कि उनके द्वारा दिए गए रुपये का उसने गबन किया है।
2018 में ही पकड़ में आ गया था मामलादारागंज के रहने वाले वीपी श्रीवास्तव डाकघर के एजेंट थे। क्षेत्र के लोग उन पर भरोसा करते थे। उन्होंने किसी प्रकार का गबन नहीं किया था। 20 13 में उनकी मौत हो गई। उनका पूरा काम बेटे निखिल श्रीवास्तव ने संभाला। एजेंसी खोली ली।हालांकि, उसने अपने पिता की तरह ईमानदारी नहीं बरती। 2018 में एक व्यक्ति ने एनएससी के लिए पैसा दिया, लेकिन निखिल ने किसान विकास पत्र बनवा दिया। इसकी शिकायत हुई तो अधिकारियों ने एजेंसी रद कर दी थी। मामले को यही रफादफा कर दिया गया।
किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। निखिल ने चालाकी से रद हुई एजेंसी को बहन नीति के नाम लिया और चलाने लगा। अगर उसी समय पूरे मामले की जांच होती तो लोगों की गाढ़ी कमाई बच जाती।
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