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MSP Hike: संगम नगरी के 40 हजार किसानों को मोदी सरकार की सौगात, अब मिलेगा बढ़े एमएसपी का लाभ

Modi Cabinet approves MSP for 14 Kharif crops केंद्रीय कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ की 14 फसलों पर MSP को मंजूरी दे दी है। धान का नया MSP 2300 रुपए किया गया है जो पिछली MSP से 117 रुपए अधिक है। कपास का नया MSP 7121 और एक दूसरी किस्म के लिए 7521 रुपए पर मंजूरी दी है जो पिछली MSP से 501 रुपए ज्यादा है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 21 Jun 2024 01:02 PM (IST)
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मोदी कैबिनेट ने 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी को मंजूरी दे दी है। जागरण
 जागरण संवाददाता, प्रयागराज। केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की 14 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय का लाभ प्रयागराज के करीब 40 हजार किसानों को मिलेगा। इसमें भी सर्वाधिक हिस्सा धान के किसानों के हिस्से में रहेगा, जो कुल खरीद का करीब 90 प्रतिशत से अधिक है। ऐसा इसलिए कि प्रयागराज में सर्वाधिक रकबे में धान की खेती होती है, इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा खरीद भी धान की होती है।

वहीं कम जोत और कम संख्या में किसान बाजारा, मूंग और उड़द की खेती करते हैं, जाहिर है कम उत्पादन के कारण ऐसे किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बजाय स्थानीय बाजारों में बेच देते हैं। खरीफ की जिन 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई हैं, उसमें से आधे से ज्यादा फसलों की खेती या तो प्रयागराज में कम होती है या नहीं होती है।

प्रयागराज में पिछले वर्ष खरीफ की फसलों की खेती 2.16 लाख हेक्टेयर में हुई थी और इसमें 5.61 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। इस बार लक्ष्य बढ़ाकर 5.81 मीट्रिक टन किया गया है। उत्पादन में सर्वाधिक योगदान धान का था। वर्ष 2023 में 1,56,248 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती हुई थी और 5,04,006 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था।

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पिछले वर्ष धान खरीद के आंकड़ों के अनुसार प्रयागराज में 35 हजार किसानों से 2.30 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी। डिप्टी आरएमओ विपिन कुमार कहते हैं इसके अलावा 35 हजार कुंतल बाजरा खरीदा गया था। ज्वार, मक्का, तिल का रकबा ज्यादा नहीं है, ऐसे में किसान उपज लेकर कम आते हैं।

डिप्टी आरएमओ ने बताया कि प्रयागराज में सर्वाधिक खरीद धान की होती है। इसके बाद अन्य फसलों का बहुत कम शेयर होता है। कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष 40 हजार किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ की फसल को क्रय केंद्रों पर बेचा था। उत्पादन की बात करें तो धान के बाद अरहर, बाजरा और ज्वार पैदा हुआ था।

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प्रयागराज में कपास, साेयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली की खेती नहीं होती है, ऐसे में इन फसलों का उत्पादन करने वाले कम जोत के किसान समर्थन मूल्य नहीं पाते हैं। जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्या कहते हैं कि कुल खरीद में से धान की खरीद का हिस्सा 95 प्रतिशत से अधिक है। छोटी जोत वाले किसान धान के साथ अन्य फसल भी उगाते हैं पर ज्यादा उत्पादन नहीं होने की वजह से वह फसल लेकर क्रय केंद्रों पर लेकर नहीं आते हैं।

समूह बनाकर खेती करें तो मिलेगा एमएसपी का लाभ

प्रयागराज में करीब साढ़े छह लाख किसान हैं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ करीब ढाई लाख किसानों को ही मिल पाता है। इसमें से खरीद का 95 प्रतिशत हिस्सा धान के किसानों के पास ही जाता है। कम जोत का होने के कारण या तो किसान स्वयं के उपयोग लायक फसल उगा पाते हैं और जो उपयोग से शेष बची फसल को स्थानीय बाजार में बेच देते हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि छोटी जोत वाले किसान समूह बनाकर खेती करें तो वह ज्यादा उत्पादन प्राप्त करते हुए समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।जो धनराशि उनको मिलेगी उसको वह बाद में शेयर कर सकते हैं।

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