अलग रह रहे जीवन साथी के भरण-पोषण भत्ते को लेकर गाइड लाइन बनाएं: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलग रह रहे जीवनसाथी को भरण-पोषण भत्ता भुगतान के लिए उचित नियम/मानदंड/दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है। नियमों के संबंध में पारिवारिक न्यायालयों राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान को 31 मार्च 2025 तक सूचित किया जाए। घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत भी भरण-पोषण मांगा गया है।
विधि संवाददाता जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक-प्रशिक्षण विभाग के सचिव तथा उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को कर्मचारियों से अलग रह रहे उनके जीवनसाथी को भरण-पोषण भत्ता भुगतान के लिए उचित नियम/ मानदंड/ दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है।
कहा है कि नियमों के संबंध में पारिवारिक न्यायालयों, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान को 31 मार्च, 2025 तक सूचित किया जाए। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की पीठ ने यह निर्देश नीरज कुमार ठाकरे उर्फ पिंटू की अपील पर दिया है। अपीलकर्ता भारतीय सेना में लांस नायक/सिपाही है। वेतन 50 हजार प्रति माह है।
वैवाहिक विवाद में सेना अधिनियम के तहत अपीलकर्ता के वेतन से 22 प्रतिशत राशि पत्नी को देय है, लेकिन पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत तलाक प्रक्रिया लंबित रहते के दौरान भी भरण-पोषण के लिए आवेदन किया। घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत भी भरण-पोषण मांगा गया है।
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फर्जी मार्कशीट और सर्टिफिकेट बनाने में सात को कारावास
विभिन्न विश्वविद्यालय और माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट की फर्जी मार्कशीट व सर्टिफिकेट बनाने में दोषी पाए गए ललित कुमार, अरविंद कुमार, अनुज कुमार, हरी लाल यादव, शिव प्रकाश मिश्रा, रवि कुमार, विनोद को जिला अदालत ने सात-सात साल की कैद व अर्थदंड से दंडित किया है। दौरान मुकदमा आरोपित राजकुमार अकेला, राजेंद्र यादव और सागर यादव की मृत्यु हो जाने के कारण तीनों के विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी।जबकि एक आरोपित सुरेश माली को न्यायालय ने दोष मुक्त कर दिया। यह फैसला 20 साल बाद आया है। जिला अदालत के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मानस वत्स ने आरोपितों के अधिवक्ताओं तथा सहायक अभियोजन अधिकारी के तर्कों को सुनने, पत्रावली पर उपलब्ध सबूत का अवलोकन करने के बाद फैसला सुनाया।इसे भी पढ़ें-नेपाल में मुस्लिम महिलाओं को कट्टरता का पाठ पढ़ा रहा दावत-ए-इस्लामी, खोला गया है 'इंस्टीट्यूट'
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