हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव कृषि से मांगा हलफनामा, क्यों न निगम का खाता हो कुर्क? पढ़ें क्या है पूरा मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य कृषि औद्योगिक निगम लिमिटेड के कर्मचारियों के बकाया भुगतान न करने पर प्रमुख सचिव कृषि विभाग से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। निगम के बैंक खाते को कुर्क करने की चेतावनी भी दी गई है। अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आगरा के पंचम सिंह की याचिका पर दिया है।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग ने हलफनामा दाखिल करके बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य कृषि औद्योगिक निगम लिमिटेड के कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए वर्ष 2024-2025 के लिए 445 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके लिए 26 अक्टूबर 2024 को बैठक की गई है।
अब कोर्ट ने प्रमुख सचिव कृषि विभाग से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि निगम का बैंक खाता कुर्क क्यों न किया जाए? क्योंकि निगम याचियों के बकाये का भुगतान नहीं कर रहा। याचिका की अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आगरा के पंचम सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्र ने बहस की।
इनका कहना है कि याची को कृषि विभाग में समायोजित किया गया है, लेकिन निगम में कार्यरत रहने के दौरान वेतन भुगतान नहीं किया गया था। जिसके बकाये का भुगतान किया जाना है। तमाम सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव वित्त से हलफनामा मांगा था। इससे पहले कोर्ट ने एक अन्य मामले में फंड की कमी से जूझ रहे राज्य कृषि औद्योगिक निगम लिमिटेड को याची कर्मचारी की सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी थी।
निगम के मुख्य महाप्रबंधक ने कोर्ट से कहा था कि निगम के खिलाफ 170 याचिकाएं व 42 अवमानना याचिकाएं विचाराधीन हैं। कोर्ट उनके भुगतान का आदेश देकर अपना समय बर्बाद कर रही है। निगम के पास फंड ही नहीं है। वह कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहते हुए भी नहीं कर सकता। कोर्ट ने वित्त विभाग को निगम को बजट भेजने का आदेश दिया था।
बच्चे न होने से पत्नी की खुदकुशी मामले में पति के पौरुष की जांच का निर्देश
विधि संवाददाता, प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न और आत्म्हत्या के लिए उकसाने के आरोपित पति के पौरुष शक्ति का परीक्षण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट 12 नवंबर को पेश करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हापुड़ के एक याची की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची के खिलाफ हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर थाने में एफआइआर दर्ज है।याची का कहना था कि उसकी पत्नी को बच्चे नहीं हो रहे थे। इस वजह से अवसादग्रस्त पत्नी ने आत्महत्या की है। कोर्ट ने याची के पौरुष शक्ति का परीक्षण कराने का आदेश देते हुए कहा कि बच्चे न होने के लिए हमेशा महिलाओं को दोषी नहीं माना जा सकता, पुरुषों में भी पौरुष शक्ति की कमी हो सकती है।इसे भी पढे़ं: फ्लैट खरीदारों के हक में बड़ा फैसला, अब बिल्डर-बायर एग्रीमेंट को पंजीकृत कराना होगा अनिवार्य
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