जेवर के गांवों में किसानों को जमीन बेचने के लिए बाध्य करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक, पढ़ें कोर्ट ने क्या कहा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के जेवर तहसील के गांवों में रहने वाले किसानों की मर्जी के बगैर उन्हें अपनी जमीन बेचने के लिए बाध्य नहीं करने का निर्देश दिया है और कहा है कि सरकार को जमीन की जरूरत हो तो वह नियमानुसार जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। अधिवक्ता प्रेम कुमार चौरसिया ने याचीगण की तरफ से बहस की।
हाईकोर्ट-2. जेवर के गांवों में किसानों को जमीन बेचने के लिए बाध्य करने पर रोक
(गौतमबुद्धनगर के विशेष ध्यानार्थ)कोर्ट ने कहा, सरकार कर सकती है जमीन का अधिग्रहण
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के जेवर तहसील के गांवों में रहने वाले किसानों की मर्जी के बगैर उन्हें अपनी जमीन बेचने के लिए बाध्य नहीं करने का निर्देश दिया है और कहा है कि सरकार को जमीन की जरूरत हो तो वह नियमानुसार जमीन का अधिग्रहण कर सकती है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति मनोज कुमार निगम की खंडपीठ ने महेंदर सिंह व 98 अन्य किसानों की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। अधिवक्ता प्रेम कुमार चौरसिया ने याचीगण की तरफ से बहस की।
कहा कि जेवर तहसील के गांव तइरथलई ,तिरथली खेड़ा ,राबूपुरा, कटौली बांगर, अकालपुर, कुरैब, चकबीरमपुर,व बीरमपुर के किसानों को भूमिधरी खेती की जमीन नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) द्वारा जबरन अपने पक्ष में बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
वह अपनी जमीन बेचना नहीं चाहते। प्राधिकरण के अधिवक्ता एबी सिंघल का कहना था कि प्राधिकरण ने किसानों को लोकहित के कार्य के लिए अपनी जमीन बेचने का प्रस्ताव दिया है। मर्जी के खिलाफ किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है, जो मुआवजा लेने के लिए तैयार होंगे उन्हीं की जमीन ली जाएगी। किसी की जमीन पर कब्जा नहीं करने जा रहे, जब तक वे मुआवजा लेने के लिए राजी नहीं हो जाते। इस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
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