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Allahabad High Court : आगरा की शाही मस्जिद में श्रीकृष्ण के विग्रह के दावे पर एएसआइ से कोर्ट ने मांगा जवाब

इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि औरंगजेब द्वारा 1670 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से स्वर्ण जडि़त छोटे-बड़े विग्रह ले जाकर आगरा की जामा मस्जिद (बेगम साहिबा की मस्जिद) की सीढि़यों में दफन कर दिए गए और मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा के अध्यक्ष वादी आशुतोष पांडेय भी वर्चुअल रूप से सुनवाई से जुड़े थे।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Thu, 04 Jul 2024 09:29 PM (IST)
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एसआइटी गठित कर एएसआइ से सर्वे कराने और एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति करने की मांग।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आगरा स्थित शाही मस्जिद की सीढि़यों में भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने के दावे के मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने ठाकुर केशवदेव जी महाराज विराजमान मंदिर कटरा केशव देव और अन्य के सिविल वाद की सुनवाई करते हुए गुरुवार को यह आदेश दिया।

जवाब दाखिल करने का आदेश

एसआइटी गठित कर एएसआइ से सर्वे कराने और एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति करने की मांग सिविल वाद संख्या तीन में की गई है। कोर्ट ने अर्जी की प्रति एएसआइ के अधिवक्ता मनोज सिंह को सौंपने तथा उनको जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंध समिति की तरफ से पक्षकार बनाने की विचाराधीन अर्जी की प्रति वादी अधिवक्ता को देने का भी आदेश कोर्ट ने दिया।

एक अन्य सिविल वाद (संख्या 10) भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशवदेव खेवट 255 व छह अन्य में कोर्ट ने वादी अधिवक्ता शशांक सिंह को सात दिन में वाद की प्रति विपक्षी संख्या एक व दो को दिए जाने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने विपक्षी शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता नसीरुज्जमा से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

सिविल वाद की पोषणीयता पर विपक्षी की एक अन्य आपत्ति अर्जी की प्रति वादी अधिवक्ता को दी गई और उन्हें आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया। दोनों ही मामलों को सुनवाई के लिए पांच अगस्त को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

बता दें, हाई कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर कुल 18 केस हैं। इनकी पोषणीयता पर सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11के तहत शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की तरफ से आपत्ति की गई है। दो वादों (संख्या तीन और 10) को छोड़ कर शेष 16 में लंबी बहस के बाद कोर्ट ने जून में आदेश सुरक्षित कर लिया है।

साक्ष्य के रूप में कोर्ट को पुस्तकें दिखाईं

वीडियो कान्फ्रेंसिंग से जुड़े वादी (केस संख्या तीन) तथा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ¨सह ने विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकें भी कोर्ट को दिखाईं। उन्होंने जो पुस्तकें दिखाईं, उनमें साखी मुस्तैक खान की मासरे आलमगिरी, एफएस ग्राउज की मथुरा मेमोआयर, मथुरा गजेटियर और औरंगजेबनामा के अलावा फ्रैंकौस गुटियर की किताब औरंगजेब आईकोलिज्म शामिल है।

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