Move to Jagran APP

इरफान सोलंकी जेल से आएंगे बाहर! इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मंजूर, सजा पर रोक लगाने से इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कानपुर के पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से सुनाई गई सात साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने जमानत मंजूर कर दी है। इस फैसले से इरफान की विधायकी बहाल नहीं हो सकेगी। सरकार ने इस मामले में कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा की मांग की है।

By Suresh pandey Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 14 Nov 2024 11:28 AM (IST)
Hero Image
पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कानपुर की सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी व उनके भाई रिजवान को महिला के घर आगजनी मामले में सुनाई गई सात साल की सजा (दंड) निलंबित करते हुए उनकी जमानत स्वीकार कर ली है, लेकिन दोषसिद्धि संबंधी एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है।

इस कारण इरफान कोई चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, न उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल होगी। इरफान सोलंकी, अन्य आरोपितों की अपील तथा जमानत अर्जी पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता व न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनाया। खंडपीठ ने कहा, ‘सोलंकी का लंबा आपराधिक इतिहास है। याचिका में सिर्फ इतना कहना पर्याप्त नहीं है कि सजा निलंबित नहीं होने से वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा।’

खंडपीठ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जहां उम्रकैद को छोड़ कर निश्चित अवधि की सजा है, वहां अदालत सहानुभूति पूर्वक विचार कर सकती है। इस मामले में याची को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। इसमें वह दो वर्ष की सजा काट चुका है। कोर्ट ने अपील लंबित रहने तक दंड पर रोक व जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

इरफान सोलंकी की तरफ से अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी, इमरानुल्ला, उपेंद्र उपाध्याय ने कोर्ट में कहा था कि आग किसने लगाई और कैसे लगी, यह किसी ने नहीं देखा। वादी मुकदमा फातिमा ने दूसरों से सुनी बातों के आधार पर केस दर्ज कराया था। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता एके संड, एजीए जेके उपाध्याय ने कहा कि वैज्ञानिक जांच में घटनास्थल से मिले साक्ष्यों में पेट्रोल जैसी गंध की पुष्टि हुई है।

आरोपित आग में पेट्रोल भरी शीशियां आरोपित फेंक रहे थे, इससे आग और भड़क रही थी। हाई कोर्ट ने आठ नवंबर को आदेश सुरक्षित कर लिया था। इरफान और अन्य अभियुक्त जल्दी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। वहां से 10 दिन में सुनवाई पूरी करने का आदेश हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई की। यह है मामला: कानपुर में जाजमऊ की डिफेंस कालोनी निवासी नजीर फातिमा ने इरफान सोलंकी, उनके छोटे भाई रिजवान सोलंकी व अन्य के खिलाफ घर जलाने का केस दर्ज कराया था।

कानपुर की एमपीएमएलए कोर्ट ने पांच अभियुक्तों इरफान सोलंकी, भाई रिजवान सोलंकी के अलावा इजरायल आटेवाला, शौकत अली व मोहम्मद शरीफ को सात जुलाई 2024 को सात साल की सजा सुनाई। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर सजा रद करने और अंतिम फैसला आने तक जमानत के साथ दंड पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। राज्य सरकार ने सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए अपील दाखिल है। इसे न्यायालय ने चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।

अभी तीन मुकदमों में नहीं मिली जमानत

आगजनी मुकदमे में इरफान को सात साल की कैद में उच्च न्यायालय ने भले ही जमानत दे दी है, लेकिन उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। गैंगस्टर एक्ट, आगजनी मुकदमे के दौरान फर्जी आधार कार्ड से हवाई यात्रा करने और रंगदारी के मुकदमे में जमानत नहीं मिलने से वह बाहर नहीं आ सकेंगे। इरफान के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि इरफान को तीन मुकदमों में अभी जमानत नहीं मिली है। छोटे भाई रिजवान की भी गैंगस्टर एक्ट में जमानत होना बाकी है।

इसे भी पढ़ें: प्रयागराज, वाराणसी और अलीगढ़ समेत यूपी के 30 जिलों में बनाया जाएगा गंगा प्लान; शासन ने जारी किया आदेश

इसे भी पढ़ें: 'इसे ऑफिस से धक्का मारकर निकालो...', एक्सईएन ने महिला प्रशासनिक अधिकारी से की अभद्रता; बिगड़ी तबीयत

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।