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ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के हक का पुराना निर्णय स्वामित्व विवाद में बाध्यकारी नहीं, हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

Gyanvapi Case इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के अधिकार का वर्ष 1940 में दिया निर्णय स्वामित्व विवाद में बाध्यकारी नहीं है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष की तरफ से दीन मोहम्मद केस का उल्लेख करते हुए कहा गया कि हाई कोर्ट से 1940 में ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने का अधिकार मिला था।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 06 Dec 2023 07:51 AM (IST)
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ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के हक का पुराना निर्णय स्वामित्व विवाद में बाध्यकारी नहीं
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के अधिकार का वर्ष 1940 में दिया निर्णय स्वामित्व विवाद में बाध्यकारी नहीं है।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष की तरफ से दीन मोहम्मद केस का उल्लेख करते हुए कहा गया कि हाई कोर्ट से 1940 में ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने का अधिकार मिला था। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि वह अलग मुद्दा था। इस मामले में वह फैसला बाध्यकारी नहीं होगा।

मंगलवार को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व के संबंध में वाराणसी जिला अदालत में दाखिल घोषणात्मक सिविल वाद की पोषणीयता मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में शुरू हुई। मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने कोर्ट को बताया कि 1936 में ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर दीन मोहम्मद ने राज्य सरकार के खिलाफ सिविल वाद दायर किया था। राहत न मिलने पर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

हाई कोर्ट ने 1940 में दिया नमाज पढ़ने का अधिकार

हाई कोर्ट ने 1940 में ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने का अधिकार दिया था। कोर्ट में दीन मोहम्मद केस में दिया गया यह फैसला पढ़ा गया।

प्रकरण में अगली सुनवाई सात दिसंबर को सुबह 10 बजे से होगी। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता का कहना था कि वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता पर याचीगण की तरफ से प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत आदेश सात नियम 11 के तहत आपत्ति दाखिल की गई।

अर्जी तय न कर वाद बिंदुओं पर सुनवाई करने के आदेश को चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने 17 मार्च 2020 को केस की सुनवाई पर रोक लगा दी और मंदिर पक्ष से जवाब मांगा। दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया। इसी बीच वाराणसी की अदालत ने एक अर्जी पर सर्वे का आदेश दिया। इसे भी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।

हाई कोर्ट ने सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगा रखी है। इसी बीच अधीनस्थ अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर भेजा गया। इस दौरान कथित शिवलिंग का पता चला। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थल को सीज कर दिया है। कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप न होने के बाद वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे अर्थहीन हो चुका है।

वाद मंजूर हुआ तो मस्जिद हटा दी जाएगी

मसाजिद कमेटी इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा, ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी गणेश हनुमान मंदिर व दृश्य अदृश्य सभी देवताओं के पूजा अधिकार को लेकर 2021 में राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं ने सिविल वाद दायर किया। इसकी पोषणीयता पर भी आपत्ति की गई। इसे अधीनस्थ अदालत ने खारिज कर दिया।

यह आदेश हाई कोर्ट से बरकरार रहा। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है। उन्होंने कहा कि 2021 व 1991 के केस का संबंध एक ही संपत्ति से है। यदि वाद मंजूर होता है तो ज्ञानवापी मस्जिद हटा दी जाएगी, जो प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ होगा।

क्या है दीन मोहम्मद केस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ने का अधिकार मुस्लिम पक्ष को दीन मोहम्मद की याचिका पर वर्ष 1940 में दिया था।

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