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'पत्नी से शारीरिक संतुष्टि नहीं तो सभ्य समाज में कहां जाएगा पति': हाई कोर्ट

हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में चौंकाने वाली टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर पति को अपनी पत्नी से शारीरिक संतुष्टि नहीं मिलती है तो वह सभ्य समाज में कहां जाएगा? कोर्ट ने कहा कि विवाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंधों में असंगति के कारण उत्पन्न हुआ था। इस मामले में पत्नी ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 13 Oct 2024 12:57 PM (IST)
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज के आरोपों को निराधार पाया।-जागरण
 विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज के लिए क्रूरता के आरोपों को निराधार पाते हुए इस टिप्पणी के साथ आपराधिक केस रद कर दिया है कि यदि पति शारीरिक इच्छाओं की संतुष्टि पत्नी से नहीं करेगा तो सभ्य समाज में वह कहां जाएगा?

कोर्ट ने कहा, विवाद पति-पत्नी के शारीरिक संबंध में असंगति के कारण उत्पन्न हुआ था। यह आदेश न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने एक याचिका पर दिया है। गौतमबुद्ध नगर के महिला थाने में याची के खिलाफ उसकी पत्नी ने दहेज के लिए प्रताड़ित करने व अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

कोर्ट ने कहा, ‘यातना या कोई हमला यदि कोई हो तो वह दहेज की मांग के लिए नहीं, बल्कि शारीरिक संबंध बनाने की याची की इच्छा को पूरा करने से इन्कार करने पर किया गया लगता है।’ यदि पुरुष अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की मांग नहीं करेगा तो वह नैतिक रूप से सभ्य समाज में अपनी इच्छा को संतुष्ट करने के लिए कहां जाएगा?

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याची पर आरोप लगाया गया कि वह शराब पीने का आदी था और अप्राकृतिक संबंध बनाने की मांग करता था। शिकायतकर्ता का यह भी कहना था कि उसका पति अक्सर पोर्न फिल्में देखता था और उसके सामने बिना कपड़ों के घूमता था।

पति उसे ससुराल वालों के पास छोड़कर सिंगापुर चला गया। आठ महीने बाद जब वह सिंगापुर गई तो उसके साथ बुरा व्यवहार किया गया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे दहेज मांगने के आरोप की पुष्टि होती हो।

पुलिस नहीं कर सकती भ्रूण लिंग परीक्षण के अपराध की विवेचना

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि भ्रूण लिंग परीक्षण संबंधी अपराध की विवेचना में पुलिस अधिकृत नहीं है। लिंग परीक्षण कानून अपने में पूर्ण है, इसमें जांच, तलाशी, जब्ती और शिकायत दर्ज करने जैसे सभी आवश्यक प्रविधान शामिल हैं।

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इसके अनुसार केवल ‘सक्षम प्राधिकारी’ ही कार्रवाई कर सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आरोपित चिकित्सक के खिलाफ केस रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने डा. ब्रिज पाल सिंह की अर्जी पर दिया।

बुलंदशहर नगर कोतवाली में याची के खिलाफ तहसीलदार खुर्जा ने वर्ष 2017 में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप लगाया कि शोभा राम अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के लिंग की पहचान की जा रही है।

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