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अफसरों को ‘माननीय’ कहने का ब‍िफरा इलाहाबाद हाई कोर्ट, सरकार से पूछा- क्या कोई ‘प्रोटोकाल’ है

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अधिकारियों को उनके नाम अथवा पद नाम से पूर्व माननीय जैसे विशेषण लगाकर संबोधित करने का कोई प्रोटोकाल हो तो उसकी जानकारी न्यायालय को दी जाए। इटावा के कृष्ण गोपाल राठौर की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रमुख सचिव (राजस्व) से इस बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Fri, 27 Sep 2024 02:03 PM (IST)
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इलाहाबाद हाई कोर्ट नेइस बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा।- फाइल फोटो
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों के संबोधन में माननीय (ऑनरेबल) जैसे विशेषण का उपयोग करने पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अधिकारियों को उनके नाम अथवा पद नाम से पूर्व माननीय जैसे विशेषण लगाकर संबोधित करने का कोई प्रोटोकाल हो तो उसकी जानकारी न्यायालय को दी जाए। इटावा के कृष्ण गोपाल राठौर की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रमुख सचिव (राजस्व) से इस बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

दरअसल, याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय के संज्ञान में आया कि जिलाधिकारी इटावा ने मंडलीय कमिश्नर कानपुर डिवीजन को लिखे आधिकारिक पत्र में माननीय (ऑनरेबल) कमिश्नर लिखकर संबोधित किया है। कोर्ट ने कहा, सरकारी पत्राचार में राज्य के अधिकारियों के संबोधन में ऐसा लगातार किया जा रहा है जबकि यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसा कोई प्रोटोकाल है अथवा नहीं।

कोर्ट ने कहा कि ‘माननीय’ जैसे विशेषण का उपयोग निश्चित रूप से मंत्रियों और अन्य संप्रभु कार्यकारियों के साथ किया जाता है, लेकिन यह पता नहीं है कि यह सरकार की सेवा कर रहे सचिवों के लिए उचित है या नहीं? कोर्ट ने प्रमुख सचिव (राजस्व) को पहली अक्टूबर तक इस संबंध में हलफनामा दाखिल कर जानकारी देने का निर्देश दिया है।

फाइनल रिपोर्ट खारिज करने के बाद समन जारी करना गंभीर

व‍िधि संवाददाता, प्रयागराज। हाई कोर्ट ने कहा है कि फाइनल रिपोर्ट खारिज करने के बाद आरोपित को समन जारी करना गंभीर मामला है। मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसा करने से पूर्व अपने आदेश में इसका कारण दर्ज करना जरूरी है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने गाजीपुर के डाक्टर दंपती के खिलाफ सीजेएम कोर्ट की तरफ से जारी समन रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है।

शेयर बाजार में निवेशित रकम की वसूली के लिए केस गलत

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि शेयर बाजार के अपने जोखिम हैं और निवेश की गई रकम की वसूली के लिए शेयर ब्रोकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना सही नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने लाइसेंसधारी शेयर दलाल एवं प्रतिभूति कंपनी के निदेशक/मालिक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा कि एफआइआर में धारा 420 और 409 आइपीसी के कोई तत्व नहीं हैं।

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