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कांग्रेस के ‘खटाखट 85 सौ रुपये’ वाले वादे का मामला, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने गारंटी कार्ड जारी किया था। गारंटी कार्ड में गरीब पिछड़े दलित व अल्पसंख्यकों को चुनाव के बाद 8500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा कर वोट देने का लालच दिया गया। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा याचिका दायर करते हुए 99 कांग्रेस सांसदों अयोग्य घोषित करने की मांग की गई। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 20 Aug 2024 06:07 PM (IST)
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99 कांग्रेस सांसदों को अयोग्य घोषित करने की याचिका खारिज

जागरण संवाददाता, प्रयागराज।  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कांग्रेस के 99 सांसदों को अयोग्य घोषित कर पार्टी का पंजीकरण रद करने व चुनाव चिह्न जब्त करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका वापस करते हुए खारिज कर दी है। याची को विस्तृत विवरण के साथ दोबारा याचिका करने की छूट दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने फतेहपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भारती देवी की जनहित याचिका पर दिया है।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में जारी किया था गारंटी कार्ड

याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024  में गारंटी कार्ड जारी किया। इसमें गरीब, पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यकों को चुनाव के बाद 8500 रुपये प्रतिमाह देने का झूठा वादा कर वोट देने का लालच दिया गया। यह कार्य लोक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है।

वोट के बदले 8500 रुपये हर माह देने का था वादा

गारंटी कार्ड  पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गांधी के हस्ताक्षर हैं। वादा पत्र के साथ एक रसीद लोगों को दी गई, ताकि लोगों को विश्वास हो जाए कि जिसके पास यह रसीद होगी, उन लोगों को कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के बाद पार्टी की ओर से 8500 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा।

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पहले केंद्रीय चुनाव आयोग से की गई थी शिकायत

याची का कहना था कि इस संबंध में पूर्व में केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को एडवायजरी नोटिस दो मई को जारी किया था लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने नोटिस के बाद भी गारंटी कार्ड वापस नहीं लिया।

बीएनएस के तहत अपराध

कांग्रेस का यह कार्य जन प्रतिनिधित्व अधिनियम व आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही बीएनएस के अंतर्गत भी अपराध है। याची ने इस संबंध में चुनाव आयोग को प्रत्यावेदन दिया था। कोई कार्यवाही न होने पर यह जनहित याचिका दाखिल की थी।

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