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यूपी के सभी जिला जजों को हड़ताल का प्रस्ताव सर्कुलेट करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई रोक, मांगी रिपोर्ट

Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी की जिला अदालतों में बार एसोसिएशन द्वारा बार-बार हड़ताल किए जाने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने सभी जिला जजों को निर्देश दिया है कि बार एसोसिएशन के हड़ताल प्रस्ताव को सर्कुलेट न करें। कोर्ट ने कहा कि हड़ताल से अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए लगातार बिना हड़ताल के कार्य जारी रखें।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 30 Sep 2024 10:15 AM (IST)
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यूपी के सभी जिला जजों को हड़ताल का प्रस्ताव सर्कुलेट करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई रोक

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वकीलों की हड़ताल को अवैध घोषित करने के बावजूद प्रदेश की जिला अदालतों में बार एसोसिएशन द्वारा आए दिन हड़ताल करने पर चिंता जताई है। कहा कि वैसे भी अदालतें मुकदमों के भारी बोझ से दबी हैं। हड़ताल से और बढ़ा ही रही हैं।

कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिला जजों को निर्देश दिया है कि बार एसोसिएशन के हड़ताल के प्रस्ताव को सभी जजों में सर्कुलेट न करें। बार संगठनों से उम्मीद जताई है कि वे अदालती कामकाज सुचारु रूप से चलने देने में सहयोग करेंगे।

कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता की मौत पर शोक सभा बार काउंसिल के प्रस्ताव 3.30 बजे से करने का पालन करेंगे ताकि अदालती कामकाज प्रभावित न हो सके। कोर्ट ने निबंधक से अगली सुनवाई की तारीख 22 अक्टूबर को रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति डा. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने जिला बार एसोसिएशन प्रयागराज के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही की सुनवाई करते हुए दिया है।

अधिवक्ता ने दी हड़ताल के दुष्परिणामों की जानकारी

गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद के अधिवक्ता केआर चित्रा व सत्यकेतु सिंह ने कोर्ट को आये दिन वकीलों की हड़ताल के दुष्परिणामों की जानकारी दी। कहा कि अधिकांश वकील काम करना चाहते हैं, लेकिन कुछ अपने वैधानिक व्यावसायिक दायित्व निभाने के बजाय हड़ताल कराते हैं। उन्होंने बताया जिला जज हड़ताल के प्रस्ताव को सभी जजों में सर्कुलेट करते हैं, जिससे अदालतें काम से अलग हो जाती हैं।

कोर्ट ने कहा कि पहले ही सुप्रीम कोर्ट के कैप्टन हरीश उप्पल केस का पालन करने का निर्देश दिया गया है। साफ कहा गया है कि हड़ताल करने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बार काउंसिल ने भी हड़ताल को सही नहीं माना। शोकसभा 3.30 बजे करने का प्रस्ताव दिया है। इसके बावजूद सुबह 10 बजे शोक प्रस्ताव कर अदालती कामकाज रोका जा रहा है।

हाई कोर्ट के अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने जिला अदालतों की हड़ताल को लेकर रिपोर्ट पेश की। बार काउंसिल आफ इंडिया की तरफ से गिरधर द्विवेदी व यूपी बार काउंसिल के अधिवक्ता अशोक त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता ने पक्ष रखा। कोर्ट ने वकीलों से कहा है कि हड़ताल न कर वकालत व्यवसाय के गौरव को बहाल करें। हड़ताल से नागरिकों में न्यायिक तंत्र को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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