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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोस्ती पर कही दिल छूने वाली बात, एक श्लोक सुनाकर खारिज कर दी याचिका

Allahabad High Court News in Hindi- चुनाव को लेकर भाजपा नेता राजेन्द्र कुमार की याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पुरानी कहावत है कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने राजेन्द्र कुमार की याचिका पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अपनी लोक छवि को लेकर चिंतित होना गलत नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Wed, 13 Sep 2023 07:57 PM (IST)
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कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका मंजूर भी होती है तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
Allahabad High Court News । प्रयागराज, विधि संवाददाता: चुनाव को लेकर भाजपा नेता राजेन्द्र कुमार की याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पुरानी कहावत है कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने राजेन्द्र कुमार की याचिका पर यह आदेश दिया। 

कोर्ट ने कहा कि अपनी लोक छवि को लेकर चिंतित होना गलत नहीं है। पक्षों ने माना है उनकी राजनैतिक दोस्ती है, वे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं, एक दूसरे के समर्थन में रहे हैं, किंतु लोकसभा चुनाव 2014 में याची का पर्चा गलत तरीके से निरस्त कर दिया गया। इससे बिगड़ी लोक छवि सुधारने के लिए ही एकेडमिक लड़ाई लड़ रहा है। कोर्ट ने इसे भ्रम माना किंतु दोस्ती पर बहुत अच्छी टिप्पणी की और यह श्लोक क्वोट किया-

“चंदनं शीतलं रोके, चंदनादपि चंद्रमा।

चंद्रचंदनयोर्मध्ये शीतला साधु संगति:।।”

श्लोक का अर्थ है कि चंदन से शीतल चंद्रमा है और चंद्रमा से भी शीतल अच्छे मित्र की संगति होती है। 

अर्थहीन हो चुकी है याचिका: कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि 2014 की लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके बाद 2019 में चुनाव हुआ, हालांकि विपक्षी हार गया और मौजूदा लोकसभा का भी कार्यकाल 2024 में समाप्त होने जा रहा है। चुनाव को लेकर यह याचिका अर्थहीन हो चुकी है। कोर्ट ने चुनाव याचिका अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दी। 

याचिका में याची ने रखी थी ये बात

याची का कहना था कि 2014 में पार्टी ने उसे बिजनौर लोकसभा का टिकट दिया और उसने नामांकन दाखिल किया। बाद में विपक्षी कुंवर भारतेंदु सिंह को टिकट दे दिया गया। उसका पर्चा मनमाने ढंग से निरस्त कर दिया गया। इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। विपक्षी ढाई लाख वोटों से विजयी हुआ था। उसने लोकसभा सदस्य की शपथ ली और कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 2019 के चुनाव में वह पराजित हुआ। 

कानूनी लड़ाई को नुकसान होता है: कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका मंजूर भी होती है तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। कोर्ट ने याचिका तय करने में देरी पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इससे कानूनी लड़ाई को नुकसान होता है। कोर्ट को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। पार्टी का दोनों पर विश्वास कायम है। समर्थकों की संतुष्टि के लिए याचिका दायर करने की बात आधारहीन है।

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