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Allahabad HC ने कहा- हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा न मिलना दुखद; गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने का दिया था सुझाव

कोर्ट ने देश की अन्य भाषाओं के भी सम्मान की बात कहते हुए टिप्पणी की कि देश में सबसे अधिक बोली समझी व लिखी जाने वाली भाषा हिंदी है। यह संपूर्ण भारतवर्ष की भाषा है। यह जिस प्रतिष्ठा की अधिकारिणी है हमने नहीं दिया। दूसरी तरफ सैकड़ों वर्षों तक गुलाम रखने वालों की भाषा देश की अदालतों व उच्च संस्थानों की भाषा बनी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Sat, 16 Sep 2023 12:05 AM (IST)
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कोर्ट ने कहा कि यह दुखद है कि आज तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका।

प्रयागराज, विधि संवाददाता: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया है। कहा है कि यह दुखद है कि आज तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका। 

कोर्ट ने देश की अन्य भाषाओं के भी सम्मान की बात कहते हुए टिप्पणी की कि देश में सबसे अधिक बोली, समझी व लिखी जाने वाली भाषा हिंदी है। यह संपूर्ण भारतवर्ष की भाषा है। यह जिस प्रतिष्ठा की अधिकारिणी है, हमने नहीं दिया। दूसरी तरफ सैकड़ों वर्षों तक गुलाम रखने वालों की भाषा देश की अदालतों व उच्च संस्थानों की भाषा बनी हुई है।

हिंदी दिवस को समर्पित किए कोर्ट के लिखे आदेश 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कहा 14 सितंबर को हिंदी में लिखे आदेश हिंदी दिवस को समर्पित हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी धोखाधड़ी षड्यंत्र के आरोपित सेवानिवृत्त अध्यापक की अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए की। 

14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा में हिंदी को भारत की राजभाषा मान कर देवनागरी लिपि को मान्यता दी गई। बड़े ग्रंथ संस्कृत व हिंदी भाषा में लिखे गए हैं। धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में हिंदी ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। संपूर्ण भारत के कवियों की भाषा, स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के जोशीले नारों ने जोश भरने का काम किया। हिंदू मुस्लिमों ने समान रूप से हिंदी भाषा में अपने भाव व्यक्त किए हैं।

-इलाहाबाद हाईकोर्ट।

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का दिया था सुझाव 

न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव राजभाषा इससे पूर्व भी राजभाषा में निर्णय दे चुके हैं। उन्होंने सितंबर 2021 में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया था। विवाह के लिए जोर जबरदस्ती से  मतांतरण गलत, राम के बिना भारत अधूरा, समलैंगिक विवाह असंवैधानिक जैसे निर्णय भी उन्होंने दिए हैं।

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