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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 'देश का भविष्य बनाने वाले अपराध करें तो अधिकतम दंड हो'

विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड को लेकर मुख्तार अंसारी अफजाल अंसारी और एजाजुल हक के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा कायम किया गया था। हाई कोर्ट ने पूर्व में अफजाल अंसारी की सजा पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। अफजाल अंसारी ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने चार वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 04 Jul 2024 12:02 PM (IST)
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गैंग एक्ट में अफजाल अंसारी को केवल चार वर्ष की सजा सुनाई है।

 विधि संवाददाता, प्रयागराज। गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में मिली सजा बढ़ाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर राज्य सरकार अपील पर बुधवार को सरकार की तरफ से बहस पूरी हो गई। उसके बाद अफजाल की तरफ से सरकार की अपील के विरोध में तर्क रखे गए।

प्रकरण की सुनवाई गुरुवार चार जुलाई को भी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की पीठ में होगी। राज्य सरकार की अपील पर अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव व अपर शासकीय अधिवक्ता (एजीए) जेके उपाध्याय ने बहस की और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गैंग एक्ट में अफजाल अंसारी को केवल चार वर्ष की सजा सुनाई है।

ट्रायल कोर्ट ने ऐसा अफजाल अंसारी की आयु (70 वर्ष) तथा उनके दो बार सांसद एवं कई बार विधायक चुने जाने के मद्देनजर किया है, जबकि कानून के मुताबिक ट्रायल कोर्ट को अभियुक्त की उस समय की आयु देखना चाहिए था, जब अपराध हुआ था। तब यह 55 वर्ष थी। जिन पर देश का भविष्य बनाने का दायित्व है, वे अगर अपराध करें और गैंग बनाए तो उन्हें अधिकतम दंड दिया जाना चाहिए।

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ऐसा ही ट्रायल कोर्ट को करना चाहिए था। दूसरे वादी पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार ने सरकार के तर्कों से पूरी तरह सहमति जताई। अफजाल अंसारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी एवं डीएस मिश्र व एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की।

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इन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो गैंग चार्ट बनाया है, उसमें कई सदस्य बनाए गए, लेकिन गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई केवल तीन लोगों पर की गई। ट्रायल कोर्ट में विवेचक के बयान से स्पष्ट है कि ऐसा राजनीतिक द्वेषवश किया गया। इसके अलावा जिस मूल मुकदमे के आधार पर अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में सजा सुनाई गई, उसमें उन्हें बरी किया जा चुका है।

गैंगस्टर एक्ट के इस मुकदमे के बाद उनके खिलाफ दो ही मामले दर्ज हुए और वह भी 2009 एवं 2014 के चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से जुड़े हैं। ऐसे में सजा निरस्त की जानी चाहिए। इसके खिलाफ उन्होंने अपील दाखिल की है।

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