महाकुंभ में कैसे रहेगा गंगा में स्वच्छ और पर्याप्त जल? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और संतों के लिए गंगा में स्वच्छ और पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की मांग वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार और जिला प्रशासन से 10 सितंबर तक जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि गंगा में स्वच्छ और पर्याप्त जल कैसे उपलब्ध कराया जाएगा? यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए दिए हैं।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और संतों के लिए गंगा में स्वच्छ और पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार व जिला प्रशासन से 10 सितंबर तक जानकारी मांगी है। पूछा है कि गंगा में स्वच्छ व पर्याप्त जल कैसे उपलब्ध कराया जाएगा?
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने एडवोकेट सुनीता शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय और पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में कहा गया है कि शासन व जिला प्रशासन ने स्वच्छ तथा पर्याप्त गंगाजल उपलब्ध कराने की दिशा में अब तक कोई विचार नहीं किया है। याची की तरफ से अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व प्रियंका श्रीवास्तव ने बहस की।
महाकुंभ की तैयारी में जुटी यूपी सरकार
जनहित याचिका के अनुसार, देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु, गंगा भक्त व संत प्रयागराज आते हैं। महाकुंभ मेले के लिए शासन और प्रशासन की तैयारी जोरों से चल रही है। सरकार की तरफ से काफी बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया है कि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं, संतों एवं गंगा भक्तों को कैसे पर्याप्त व स्वच्छ गंगा जल उपलब्ध कराया जाएगा।
यह भी कहा गया है कि महाकुंभ में स्नान व पूजन के लिए पर्याप्त व स्वच्छ गंगाजल तभी संभव हो सकेगा जब सुनीता शर्मा की पुरानी जनहित याचिका में उठाए गए बिंदुओं का अनुपालन कराया जाए। इनमें कानपुर की टेनरी का पानी रोकने, स्नान पर्व पर गंगा में लगातार प्रतिदिन 4000 क्यूसेक पानी छोड़ने और गंगा-यमुना में गिरने वाले गंदे नाले बंद करने, गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर निर्माण पर रोक के साथ एसटीपी के सुचारू संचालन के आदेश का पूर्णतः पालन की बात है।
प्रमुख सचिव, प्रयागराज के कमिश्नर औ डीएम, कुंभ मेला प्राधिकरण, प्रयागराज विकास प्राधिकरण और नगर निगम को याचिका में पक्षकार बनाया गया है।इसे भी पढ़ें: गौतमबुद्ध नगर में भूमि अधिग्रहण का रास्ता साफ, योगी कैबिनेट बैठक में लगी मुहर
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