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इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में इस शख्‍स की रणनीति से वर्षों बाद कांग्रेस को मिली संजीवनी, इससे पहले 'महानायक' ने रचा था इतिहास

इंडी गठबंधन बनने से कांग्रेस को संजीवनी मिल गई। कांग्रेस ने सपा के संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय महासचिव कुंवर रेवती रमण सिंह से संपर्क साधा। पीजीआइ में भर्ती रेवती रमण सिंह से मिलने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय व प्रदेश अध्यक्ष अजय राय गए। घंटों मंत्रणा चली। उज्ज्वल को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने पर सहमति बन गई। उज्ज्वल ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करके सारी स्थिति बताई।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 05 Jun 2024 03:59 PM (IST)
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कांग्रेसी उम्‍मीदवार उज्ज्वल रमण सिंह भाजपा को हराने में सफल रहें। जागरण
 शरद द्विवेदी, जागरण प्रयागराज। आखिरकार कांग्रेस हार का दाग धोने में सफल रही। वर्षों के अंतराल के बाद इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी ने चुनाव जीता है। कांग्रेस वर्ष 1984 -85 में हुए चुनाव के बाद से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में हार झेल रही थी। उज्ज्वल रमण सिंह यह क्रम तोड़ने में सफल रहे। इसके पीछे उनके पिता व सपा के कद्दावर नेता कुं. रेवती रमण सिंह की रणनीति रही।

अस्वस्थ होने के बावजूद जीवटता के साथ चुनाव संयोजन में लगे रहे। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की कर्मभूमि रही है। वर्ष 1984 में महानायक अमिताभ बच्चन कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद कांग्रेस के हर प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। स्थिति यह रही कि कांग्रेस प्रत्याशी जमानत बचाने के लिए लड़ते थे।

रीता बहुगुणा जोशी ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2014 में जमानत बचाने में सफल रही थीं। इस बार गठबंधन के तहत सपा ने फूलपुर व कांग्रेस ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी उतारा था। चुनाव से पहले कांग्रेस के पास चुनाव लड़ने के लिए योग्य प्रत्याशी का टोटा था। पार्टी के पास कोई कद्दावर नेता नहीं था, जिस पर वह दांव लगाते।

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इंडी गठबंधन बनने से कांग्रेस को संजीवनी मिल गई। कांग्रेस ने सपा के संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय महासचिव कुंवर रेवती रमण सिंह से संपर्क साधा। पीजीआइ में भर्ती रेवती रमण सिंह से मिलने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय व प्रदेश अध्यक्ष अजय राय गए। घंटों मंत्रणा चली।

उज्ज्वल को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने पर सहमति बन गई। उज्ज्वल ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करके सारी स्थिति बताई। अखिलेश ने कांग्रेस में जाने पर सहमति दे दी। इसके बाद उज्ज्वल रमण ने सपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सहयोगियों संग लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में सदस्यता ग्रहण की। वह दो बार करछना से विधायक व सपा सरकार में मंत्री रहे हैं।

मृदुभाषी, मिलनसार होने का उज्ज्वल को फायदा मिला। सक्रियता कांग्रेस से अधिक सपा कार्यकर्ताओं की रही। अधिकतर रैलियों में सपा कार्यकर्ता कांग्रेस का झंडा लेकर पहुंचते थे। रेवती रमण सारी रणनीति बनाते थे। कहां कौन सा मुद्दा उठाना है? किन क्षेत्रों में जनसंपर्क करना है? उसे तय करते थे। उज्ज्वल अच्छे से अनुसरण करते रहे। आमजनता के बीच व्यापक असर हुआ।

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गंवई भाषा में बोलना, हर वर्ग से जुड़ना आया काम

रेवती रमण व उज्ज्वल रमण सुबह लेकर देर रात तक सक्रिय रहते थे। अशोकनगर स्थित घर पर आने वाले कार्यकर्ताओं से पिता-पुत्र आत्मीयता से मिलते थे। यमुनापार में प्रचार के दौरान उज्ज्वल सबसे गंवई भाषा में बात करके दिल से जुड़ जाते थे। मतदाताओं को यह रास आया। भूमिहारों के साथ ब्राह्मण, पटेल, वैश्य, मुस्लिम सहित हर वर्ग के मतदाताओं से संपर्क किया।

काम आयी रेवती की भावुक अपील

करछना में 16 मई को उज्ज्वल रमण सिंह के समर्थन में चुनावी जनसभा आयोजित हुई थी। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे। इसमें रेवती रमण सिंह की आंख छलक गई थी, यह प्रसंग काफी चर्चा में रहा। भावुक अपील काफी काम आयी।

वहीं, 25 मई को मतदान के दिन बूथ एजेंट के समर्थन में रेवती रमण का पुलिस से भिड़ना और करेली थाने में जाकर बैठना भी उनके समर्थकों को उत्साहित करने वाला रहा। इसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया में प्रसारित किया गया, जिससे काफी माहौल बना।

नवनिर्वाचित सांसद उज्ज्वल रमण सिंह ने कहा कि यह जीत जनता व कार्यकर्ताओं की है। सभी ने बड़ी मेहनत की। महंगाई, बेरोजगारी से परेशान जनता बदलाव चाहती थी और इंडी गठबंधन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही। देश में गठबंधन की सरकार बनने पर जो भी वायदे किए गए हैं, उसे प्राथमिकता के तहत पूरा किया जाएगा।

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