शोध-स्टार्टअप के पंख से आसमान छूने की तैयारी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, ये सुविधाएं देंगी उड़ान
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का आज 137वां स्थापना दिवस है। विश्वविद्यालय में पिछले दो वर्ष में 300 नियुक्तियों के साथ शिक्षकों की संख्या 500 पहुंच गई। जिससे शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विश्वविद्यालय की सीटें भर गईं। वहीं विश्वविद्यालय अगले साल पूरी तरह से नई शिक्षा नीति लागू करेगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सफर की शुरूआत छह शिक्षकों और 13 छात्रों के साथ म्योर कालेज से 1872 में हुई थी।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 23 Sep 2023 01:06 PM (IST)
प्रयागराज, मृत्युंजय मिश्र। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का आज 137वां स्थापना दिवस है। गौरवशाली अतीत की छाया में इवि स्वर्णिम भविष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। एनआइआरएफ रैकिंग में शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल होने की चुनौती को स्वीकार करके विश्वविद्यालय शैक्षणिक, शोध और आधारभूत ढ़ांचे में विकास कर रहा है। देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों से आए नए अध्यापकों के साथ इवि को नई धारा में ले जाने की पटकथा तैयार हो चुकी है। स्टार्टअप-इनोवेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स, डीएनए प्रौद्योगिकी और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाओं के रथ पर सवार होकर वैश्विक पहचान बनाएंगे। स्मार्ट कक्षाएं, नई प्रयोगशालाएं, स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर, लैंग्वेज लैब और धड़ाधड़ आ रहे करोड़ों के प्रोजेक्ट स्वर्णिम भविष्य की राह आसान करेंगे।
छह शिक्षकों के साथ शुरू हुआ सफर
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सफर की शुरूआत छह शिक्षकों और 13 छात्रों के साथ म्योर कालेज से 1872 में हुई थी। म्योर कालेज का भवन 1886 में बनकर तैयार हुआ तब तक विद्यार्थियों की कक्षाएं दरभंगा कैसल में चला करती थी। 23 सितंबर 1887 को इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया। यह नार्थ वेस्टर्न प्रोविंस आफ आगरा एंड अवध, सेंट्रल प्रोविसेस के संघटक विश्वविद्यालय रूप में स्थापित हुआ। 1921 में यूनिवर्सिटी आफ इलाहाबाद एक्ट पारित होने के बाद इसे आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला गया। पूरब का आक्सफोर्ड जैसी पदवी हासिल करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके इवि को 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित किया गया।
नोबल पुरस्कार के दावेदार थे चार शिक्षक
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साथ नोबल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन का नाम जुड़ा है। सीवी रमन नियमित तौर पर बीएससी की प्रयोगशालाओं में बाह्य परीक्षक की भूमिका में रहते थे। इनके अलावा दुनिया को तारा की भाषा सिखाने वाले भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. मेघनाथ साहा को प्रस्तावित किया गया। प्रो. केएस कृष्णन, प्रो. नीलरतन धर और प्रो. के बनर्जी के नाम नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्तावित थे। क्वांटम मैकेनिक्स के जनक इरविन श्रोडिंगर ने इवि के प्रोफेसरशिप के प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया था पर द्वितीय विश्वयुद्ध की वजह से नहीं आ पाए थे। इस दौरान उनको नोबल पुरस्कार भी मिला।क्या कहते हैं विश्वविद्यालय के अधिकारी
इवि का भविष्य स्वर्णिम है। लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा विश्वविद्यालय अब प्रगति की राह पर है। पाठ्यक्रमों में विविधता है। नई शिक्षा नीति से आच्छादित पाठ्यक्रम बहुआयमी व्यक्तित्व का निर्माण करने में सक्षम है। -प्रो. केएन उत्तम, डिप्टी प्राक्टरनए शिक्षकों के आने से इवि में शोध और शैक्षणिक क्षेत्र का खालीपन भर गया है। इवि को एक वर्ष में 10 नए बड़े प्रोजेक्ट मिले हैं। इवि एनआइआरएफ रैंकिंग में प्रदर्शन को बेहतर करेगा। प्रो. एसआइ रिजवी, डीन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट-इवि
इलाहाबाद विश्वविद्यालय नए दौर में प्रवेश कर रहा है। मेरा प्रयास है कि विश्वविद्यालय को पुराना गौरव लौटाया जाय। इसके लिए हर बाधा दूर की जाएगी। पुराछात्र हमारे गौरव हैं। उन्हें जोड़कर नवनिर्माण के भागीदार बनाना मेरा लक्ष्य है। मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियां की कहानियां फिर सुनाई देगी। प्रो. संगीता श्रीवास्तव, कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आज 49 वर्ष का हो जाएगा जगत तारन गर्ल्स डिग्री कालेज
प्रतिष्ठित महिला कालेज में शामिल जगत तारन गर्ल्स डिग्री कालेज आज अपना 49वां स्थापना दिवस मनाएगा। इसकी स्थापना 23 सितंबर 1975 में हुई थी। प्राचार्य प्रो. आशिमा घोष ने बताया कि यूएन द्वारा मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष पर 1975 में यह कालेज शुरू हुआ था। पहले यह इंटर कालेज था और फिर महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए इसके डिग्री कालेज में बदल दिया गया। प्रो. घोष बताती हैं कि इसकी विशेषताओं में से एक इसका प्रमुख स्थान है। यह शहर के मध्य में स्थित है और विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है। कालेज पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों से सर्वश्रेष्ठ शिक्षार्थियों को आकर्षित करता है। प्रो. घोष ने बतया कि स्थापना दिवस पर कालेज का लोगो डिजाइन करने वाले अजय साहू को सम्मानित किया जाएगा। यह भी पढ़ें, Indian Railway: प्राइवेटाइजेशन की दिशा में बढ़ रहे रेलवे का बड़ा कदम, अब कॉरपोरेट की तर्ज पर मिलेगी ये सुविधा यह भी पढ़ें, I.N.D.I.A vs NDA यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय बोले- अक्टूबर में बनेगी नई टीम, सत्ता से बेदखल होंगे मोदी-योगीयह सुविधाएं देंगी उड़ान
- इवि के सीनेट परिसर के ईश्वर टोपा कांप्लेक्स में स्थापित स्टार्टअप इनक्यूबेशन केंद्र में नई कंपनियों को इनक्यूबेट कर स्टार्टअप की दिशा में आगे बढ़ेगा। वहीं लैंग्वेज लैब में विदेशी व देशज भाषाओं जर्मन, फ्रेंच और रशियन के साथ संस्कृत और हिंदी का भाषायी उच्चारण की कक्षाएं चलेंगी।
- एक वर्ष के दौरान इवि को देश की बड़ी फंडिंग एजेंसियों से शोध के लिए प्रोजेक्ट मिले हैं। इसमें दो प्रोजेक्ट जंतु विज्ञान, तीन प्रोजेक्ट भौतिक विज्ञान और पांच प्रोजेक्ट रसायन विज्ञान विभाग को मिले हैं।
- इस सत्र में नई शिक्षा नीति के तहत कई पंच वर्षीय पाठ्यक्रम शुरू किए थे। सत्र 2024-25 से बीए, बीएससी, बीकाम सहित सभी तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम भी नई शिक्षा नीति के दायरे में आकर चार वर्ष के हो जाएंगे।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हाकी एस्ट्रोटर्फ बनकर तैयार हो गया है। इसके अलावा अत्याधुनिक बास्केटबाल, वालीबाल और लान टेनिस कोर्ट भी शुरू हो चुका है।