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Amarmani Tripathi Case: पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को बड़ा झटका, इलाहाबाद HC ने खारिज की याचिका; जानिए मामला

Amarmani Tripathi Case इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की याचिका खारिज कर दी है। पुलिस ने अमरमणि सहित अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। याची ने अदालत में समर्पण किया और उसे जमानत मिल गई। पांच जनवरी 2002 को जिलाधिकारी ने गैंग चार्ट अनुमोदित किया। गैंगस्टर एक्ट के तहत एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में याची सहित सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Fri, 22 Mar 2024 07:48 PM (IST)
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पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को बड़ा झटका, इलाहाबाद HC ने खारिज की याचिका
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि यदि वह एमपी-एमएलए विशेष अदालत बस्ती में नियमित जमानत अर्जी देते हैं तो उसे सत्येंद्र कुमार अंतिल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में उसी दिन तय की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने धारा 482 के तहत दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

शासकीय अधिवक्ता एके सण्ड ने याचिका का विरोध किया। मामला व्यवसायी पुत्र के अपहरण से जुड़ा है। धर्मराज मधेशिया ने छह दिसंबर 2001 को बस्ती कोतवाली में प्राथमिकी लिखाई थी। कहा कि उनका बेटा राहुल मधेशिया बाइक से स्कूल गया था। डा. रामकुमार गुप्त के घर के सामने मारुति कार रुकी और कुछ लोग बेटे को जबरन उसमें डाल भाग गए। घटना तमाम लोगों ने देखी।

गैंगस्टर एक्ट के तहत चल रहा है केस

पुलिस ने अमरमणि सहित अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। याची ने अदालत में समर्पण किया और उसे जमानत मिल गई। पांच जनवरी 2002 को जिलाधिकारी ने गैंग चार्ट अनुमोदित किया। गैंगस्टर एक्ट के तहत एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में याची सहित सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। समन जारी किया गया। कोर्ट ने कानूनी व्यवस्था स्पष्ट करते हुए कहा कि अभियुक्त को समन जारी किया गया हो तो वह सीआरपीसी की धारा 88 का लाभ नहीं ले सकता। उसे नियमित जमानत अर्जी देनी होगी।

अमरमणि त्रिपाठी की अर्जी हुई खारिज

कोर्ट ने कहा कि 2002 में चार्जशीट दाखिल की गई और 20 साल बाद चार्ज बना। याची बाहर है। विशेष अदालत से गैर जमानती वारंट जारी किया गया तो बिना समर्पण किए आदेश वापस लेने की अर्जी दी, जिसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने एमपी-एमएलए विशेष अदालत के आदेश को सही माना। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी व अधिवक्ता अजातशत्रु पांडेय ने तर्क रखा।

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