UP News: अतीक अहमद के बेटों के लिए मार्च से लगाई जा रही थी गुहार, माफिया की बीवी ने कई बार किया आवेदन
उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस की सख्ती और छापेमारी के बावजूद अतीक के दो नाबालिग बेटों के लिए पहले उनकी मां शाइस्ता परवीन और फिर तीन अलग-अलग बुआ लगातार अदालत में अर्जी देती रहीं। पुलिस की तरफ से रिपोर्ट नहीं आने और कभी किसी अन्य वजह से जिला अदालत में तारीख पर तारीख लगती रही। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने अतीक की एक बहन की याचिका पर सुनवाई की है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस की सख्ती और छापेमारी के बावजूद अतीक के दो नाबालिग बेटों के लिए पहले उनकी मां शाइस्ता परवीन और फिर तीन अलग-अलग बुआ लगातार अदालत में अर्जी देती रहीं। पुलिस की तरफ से रिपोर्ट नहीं आने और कभी किसी अन्य वजह से जिला अदालत में तारीख पर तारीख लगती रही। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने अतीक की एक बहन की याचिका पर सुनवाई की जिसका नतीजा है कि माफिया के दो बेटों को सोमवार शाम बाल गृह से मुक्ति मिल गई।
सुलेमसराय में जीटी रोड पर 24 फरवरी की शाम उमेश पाल और दो गनर की हत्या के कुछ घंटे बाद पुलिस बल ने सबसे पहले चकिया में छापा मारा। वहां किराए के मकान से अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन गायब थी। उसके दो बड़े बेटे उमर और अली पहले से जेल में बंद थे। शाइस्ता के अलावा पुलिस को तीसरे नंबर के बेटे असद की तलाश थी जो सीसीटीवी फुटेज में फायरिंग करते दिखा था।
मगर वह भी नहीं मिला। फरार शाइस्ता की ओर से हफ्ते भर बाद जिला अदालत में अपने वकील के जरिए अर्जी दी गई कि पुलिस घर से उसके दो नाबालिग बेटों को पकड़ ले गई। अदालत से आख्या तलब करने पर धूमनगंज थाने से आई पहली रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस को अतीक के दो बेटे चकिया में लावारिस मिले थे। उन दोनों को सीडब्लूसी (बाल कल्याण समिति) के समक्ष पेशकर बाल दो मार्च को बाल गृह पहुंचा दिया गया।
इस रिपोर्ट पर अतीक के वकीलों ने आपत्ति कर दी कि इसे धूमनगंज थाना प्रभारी ने नहीं पेश किया है, दूसरी बात रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं कि दोनों बेटों को किस जिले की बाल गृह में रखा गया है। शाइस्ता के वकीलों की ओर से बार-बार अर्जी दी जाती रही। पुलिस से सही जवाब के अभाव में तारीख लगती रही। आखिरकार यह स्पष्ट हो गया कि दोनों बेटों को राजरूपपुर में 60 फीट रोड स्थित बाल गृह में रखा गया है। इनमें चौथे नंबर का पुत्र एहजम तब 17 वर्ष पांच महीने का था।
उससे छोटा पांचवे नंबर का बेटा 15 वर्ष का था। पहले आयशा फिर शाहीन ने मांगी भतीजों की सुपुर्दगी अतीक के दोनों बेटों की सबसे पहले उनकी मेरठ में रहने वाली बुआ आयशा नूरी ने सुपुर्दगी मांगते हुए कोर्ट में अर्जी दी।उसकी अर्जी पर पुलिस रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद आयशा नूरी को भी पुलिस ने हत्याकांड में वांछित कर दिया।
वह बेटियों समेत फरार हो गई। आयशा के बाद जुलाई में अतीक की दूसरी बहन मरियाडीह गांव निवासी शाहीन अहमद ने बेटों को उसके सुपुर्द करने के लिए अर्जी दी। 28 जुलाई को सुनवाई होनी थी। इसी बीच पूरामुफ्ती थाने में कसारी-मसारी के साबिर हुसैन ने शाहीन, उसके पति डॅा.मोहम्मद अहमद, बेटे जका आदि के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। पुलिस ने सबको हिरासत में ले लिया।
पुलिस द्वारा अवैध रूप से शाहीन को हिरासत में लेने की शिकायत कोर्ट में भी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन की याचिका पर दिया आदेश जिला अदालत के बाद शाहीन अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में बाल गृह से दोनों भतीजों की सुपुर्दगी के लिए याचिका दायर की। शीर्ष कोर्ट ने पहले एक स्वतंत्र अधिवक्ता को भेजकर बाल गृह में अतीक के दोनों बेटों के बयान दर्ज कराए थे।
दोनों भाइयों ने बाल गृह से बाहर निकलने की इच्छा जताई थी। यह रिपोर्ट मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को एक सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश जारी किया। इस पर अगली सुनवाई मंगलवार 10 अक्तूबर को होनी थी। छह अक्तूबर को अतीक की हटवा में रहने वाली बहन परवीन अहमद ने समिति के समक्ष दोनों भतीजों की कस्टडी के लिए आवेदन किया। इसी बीच, इन दो बेटों में बड़ा चौथे नंबर का एहजम 18 वर्ष का हो गया।
उसके बालिग होने कि समिति ने पुन पुलिस से रिपोर्ट मांगी
परवीन के पास दोनों बेटों के सुरक्षित रहने की रिपोर्ट मिलने पर सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए लेकर शीर्ष अधिकारियों से मंजूरी ली गई। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने एहजम समेत दोनों बेटों को उनकी बुआ परवीन अहमद को सुपुर्द करने का आदेश दिया। सोमवार शाम एसीपी धूमनगंज वरुण कुमार, धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार मौर्या, पूरामुफ्ती थाने की पुलिस और एलआइयू की मौजूदगी में अतीक के बेटों को बाल गृह से निकालकर बुआ की कार में बैठाया गया।
पहले तीन आवेदन हुए खारिज परवीन से पहले तीन आवेदन अतीक के दोनों बेटों की कस्टडी के लिए आ चुके थे। पहला आवेदन अशरफ की पत्नी जैनब जबकि दूसरा आवेदन बहन आयशा नूरी ने किया था। तीसरा आवेदन अतीक की दूसरी बहन शाहीन ने किया था।
मगर इन तीनों आवेदन को खारिज कर दिया गया। वजह थी पुलिस रिपोर्ट थी। बाल कल्याण समिति को दी रिपोर्ट में पुलिस ने लिखा था कि बाल गृह से निकलने पर अतीक के बेटों के लिए खतरा है। सुरक्षा पर आश्वस्त न होने के कारण समिति ने सुपुर्दगी नहीं दी। शीर्ष कोर्ट को भेज दी गई अनुपालन आख्या अतीक के दोनों बेटों की सुपुर्दगी पर निर्णय लेकर इसकी अनुपालन आख्या 10 अक्तूबर से पहले सुप्रीम कोर्ट को भेजनी थी।ऐसे में अतीक की बहन परवीन के आवेदन पर पुलिस रिपोर्ट मांगकर सात अक्तूबर को मंजूरी दी गई।
समिति ने पुलिस सुरक्षा में दोनों को बुआ के घर हटवा तक पहुंचाने का आदेश भी दिया। बुआ परवीन ने भतीजों की सुरक्षा, शिक्षा, संरक्षण का जिम्मा लेने का हलफनामा भी अदालत में दाखिल किया है। समिति ने यह भी आदेश दिया है कि वह यानी बुआ न्यायालय को सूचित किए बिना अतीक के बेटों से जुड़ा कोई भी फैसला नहीं ले सकेंगी। सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट भेज दी गई।
अब्बा-चाचा समेत भाई मारा गया, मां-चाची फरार सात महीने बाद अब एहजम और उसका छोटा भाई बाल गृह से निकले हैं तो उनके लिए दुनिया काफी बदल चुकी है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद मुठभेड़ में उनके बडे भाई असद को एसटीएफ ने 13 अप्रैल को मुठभेड़ में मार गिराया था। 15 अप्रैल की रात उनके अब्बा अतीक और चाचा अशरफ को पुलिस कस्टडी में शूटरों ने गोलियों से छलनी कर दिया। मां शाइस्ता परवीन, चाची जैनब और बुआ आयशा फरार है। बाकी दो बडे भाई जेल में बंद हैं।