ज्ञानवापी वुजूखाना सर्वे मामले में 45 मिनट तक रखी गईं दलीलें, आठ नवंबर को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के वुजुखाना के वैज्ञानिक सर्वे की मांग वाली पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तय कर दी। याचिकाकर्ता राखी सिंह ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की लेकिन हाई कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए सर्वे पर सवाल उठाया। मंदिर और मस्जिद पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजुखाना का वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग जिला अदालत से खारिज होने के आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल पुनरीक्षण याचिका की अगली सुनवाई अब आठ नवंबर को होगी। शृंगार गौरी मामले में पक्षकार राखी सिंह की इस पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल कर रहे हैं।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में याची से कहा था कि ज्ञानवापी परिसर को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट दाखिल करे। मंगलवार को हुई सुनवाई में याची के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कोर्ट के समक्ष एएसआई रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कहा कि वुजूखाने के धार्मिक चरित्र के निर्धारण के लिए सर्वेक्षण आवश्यक है। हाई कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने शिवलिंग के सर्वे पर रोक लगाई है तो कैसे सर्वेक्षण का आदेश दिया जा सकता है?
इस पर मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग की सुरक्षा-संरक्षा का आदेश देते हुए यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 17, 20 मई और 11 नवंबर के आदेश को दिखाते हुए कहा कि परिसर सील नहीं किया गया है।
मस्जिद पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफ नकवी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त क्षेत्र को सुरक्षित और संरक्षित किया है, ऐसे में सर्वे नहीं हो सकता। याची अधिवक्ता ने स्थिति और स्पष्ट करने के लिए समय मांगा। इस पर अगली सुनवाई की तिथि आठ नवंबर नियत कर दी गई।