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UP News: आजम खां की जमानत पर फैसला सुरक्षित, नगर पालिका की सफाई मशीन चोरी का है मामला

आजम खान पर नगर पालिका परिषद रामपुर द्वारा खरीदी गई रोड क्लीनिंग मशीन चुराने का आरोप है। इस मामले में आजम की जमानत अर्जी की सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। आजम के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से बहस की। राज्य सरकार की तरफ से जमानत का विरोध किया गया।

By Narendra srivastava Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 03 Sep 2024 12:28 PM (IST)
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पूर्व कैबिनेट मंत्री मो. आजम खां।- फाइल फोटो

विधि संवाददाता, प्रयागराज। प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री मो. आजम खां की जमानत अर्जी की सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। आजम पर नगर पालिका परिषद रामपुर द्वारा खरीदी गई रोड क्लीनिंग मशीन चुराने का आरोप है। इनके ऊपर पद के दुरुपयोग करने का भी आरोप है।

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद रामपुर के सामाजिक कार्यकर्ता वकार अली खान ने इस मामले में आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम सहित पांच अन्य लोगों के खिलाफ कोतवाली रामपुर में एफआइआर दर्ज कराई है। अर्जी पर न्यायमूर्ति समित गोपाल सुनवाई कर रहे थे। आजम के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से बहस की। राज्य सरकार की तरफ से जमानत का विरोध किया गया।

42 साल बाद हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा से पूर्व सैनिक बरी

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 42 साल बाद पूर्व सैनिक को गोली मारकर हत्या के आरोप से मुरारी लाल को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपराध संदेह से परे साबित न होने व गवाहों के बयानों में विरोधाभास के कारण सत्र अदालत द्वारा हत्या का दोषी करार देकर सुनाई गई उम्रकैद की सजा रद कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति आरएमएन मिश्र की खंडपीठ ने मुरारी के वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र की दलीलों को सुनकर दिया है।

मामले के अनुसार छह जुलाई 1982 को फूल सिंह अपने गांव वजीरगंज आ रहे थे, उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी। उनके भाई शिवदान सिंह ने एफआइआर दर्ज कराई। मुरारी लाल पर दुश्मनी वश बंदूक से गोली चलाकर हत्या करने का आरोप लगाया। सत्र अदालत बदायूं ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इस समय आरोपी जमानत पर हैं। कोर्ट ने कहा स्पष्ट नहीं है कि फूल सिंह की हत्या गांव आते समय या गांव से जाते समय की गई।

एकमात्र चश्मदीद का बयान विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि किसी गवाह ने उसकी बात का समर्थन नहीं किया। पंचायतनामा पर हस्ताक्षर करने वाले ने इनकार किया है कि उसने हस्ताक्षर नहीं किया है। किसी ने कहा लाश थाने ले गए, तो किसी ने कहा थाने में लाश नहीं गई। अभियोजन पक्ष की तमाम नाकामियों के कारण कोर्ट ने अभियुक्त अपीलार्थी पर हत्या करने के आरोप को संदेहास्पद माना और सजा रद कर दी है। कोर्ट ने कहा अभियुक्त जमानत पर हैं, इसलिए समर्पण करने की जरूरत नहीं है। नियमानुसार कार्रवाई करें।

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