बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में फैसला सुरक्षित, सेवायतों ने पौराणिक मंदिरों के अस्तित्व पर बताया था खतरा
Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को मथुरा वृंदावन बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर (गलियारा) निर्माण मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया। अनंत शर्मा मधुमंगल दास व कई अन्य की जनहित याचिका में मंदिर में भीड़ से होने वाले हादसे रोकने व सुरक्षा के उपाय करने की मांग पर राज्य सरकार ने कारिडोर निर्माण का फैसला लिया है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 09 Nov 2023 07:47 AM (IST)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को मथुरा वृंदावन बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर (गलियारा) निर्माण मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया। अनंत शर्मा, मधुमंगल दास व कई अन्य की जनहित याचिका में मंदिर में भीड़ से होने वाले हादसे रोकने व सुरक्षा के उपाय करने की मांग पर राज्य सरकार ने कारिडोर निर्माण का फैसला लिया है।
इस फैसले से भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली कुंज गली सहित कई पौराणिक मंदिरों के अस्तित्व पर खतरे को लेकर सेवायतों ने सवाल उठाए हैं।
मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रकरण की सुनवाई की। याची अधिवक्ता श्रेया गुप्ता ने एक बार फिर सिविल कोर्ट द्वारा पारित डिक्री रद करने की मांग की।
कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधाओं की व्यवस्था की जाए जबकि सेवायतों की ओर से कहा गया कि बांकेबिहारी मंदिर उनका निजी मंदिर है। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत उनके मूल अधिकारों का हनन कोई भी नहीं कर सकता। वह कुंज गली के स्वरूप में किसी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है।
सरकार ऐसा कर रही है तो वह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मिले उनके अधिकारों का हनन है। सेवायतों के अधिवक्ता संकल्प गोस्वामी ने कहा कि उनकी ओर से तीन प्रस्ताव हैं। सरकार को उस पर विचार करना चाहिए।
पहला प्रस्ताव मंदिर शिफ्ट करने का है। दूसरा, बैरिकेडिंग कर लाइन से सभी श्रद्धालुओं को दर्शन कराना और तीसरा बांके बिहारी मंदिर से थोड़ी दूर पर नौ स्क्वायर किलोमीटर भूमि है, उस पर अतिक्रमण है।
एनजीटी और हाई कोर्ट का अतिक्रमण हटाने का आदेश है। सरकार उस भूमि को संरक्षित कर वहां से लाइन से दर्शन कराने की व्यवस्था कर सकता है। अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की। कहा, इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही हस्तक्षेप करने से इन्कार कर चुका है।महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि ने सरकार का पक्ष रखा। सेवायतों की ओर से दिए गए प्रस्तावों पर आपत्ति उठाते हुए सरकार ने कारिडोर निर्माण के प्रस्ताव पर बल दिया।
इसे भी पढ़ें: दीपावली पर जगमगाएगा पूरा उत्तर प्रदेश, बिजली को लेकर सीएम योगी ने जारी किया ये आदेशआगरा के एक कारोबारी ने कारिडोर निर्माण का खर्च उठाने का हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मंदिर का चढ़ावा सरकार न ले। सरकार का कहना है कि मंदिर के पैसे से विराजमान मूर्ति के नाम जमीन खरीदी जाएगी और कारिडोर निर्माण सहित तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। मंदिर के पूजापाठ प्रबंधन में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी।
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