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महाकुंभ से पहले संतों के सबसे बड़े संगठन में बड़ा बदलाव, श्रीमहंत रवींद्र पुरी को मिला 8 अखाड़ों का समर्थन

महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले अखाड़ा परिषद में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। दो प्रमुख अखाड़ों ने पाला बदला है। इस कारण अब 13 अखाड़ों वाले अखाड़ा परिषद में श्रीमहंत रवींद्र पुरी (अध्यक्ष श्रीनिरंजनी अखाड़ा) को संख्याबल के आधार पर भारी पड़ गए हैं। सितंबर में प्रयागराज में बैठक बुलाकर विधिवत घोषणा की जाएगी। पूरी खबर पढ़िए यहां...

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 10 Sep 2024 05:58 PM (IST)
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महाकुंभ से पहले अखाड़ा परिषद में बड़ा फेरबदल

शरद द्विवेदी, प्रयागराज। महाकुंभ-2025 से पहले श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण और अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अनी अखाड़ा ने पाला बदलकर सबको चौका दिया है।

दोनों अखाड़ों ने श्रीमहंत रवींद्र पुरी (सचिव श्री महानिर्वाणी अखाड़ा) का साथ छोड़कर श्रीमहंत रवींद्र पुरी (अध्यक्ष श्रीनिरंजनी अखाड़ा) को समर्थन देने का निर्णय लिया है। इससे संतों के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का स्वरूप बदल गया है। अब 13 अखाड़ों वाले अखाड़ा परिषद में श्रीमहंत रवींद्र पुरी (अध्यक्ष श्रीनिरंजनी अखाड़ा) को संख्याबल के आधार पर भारी पड़ गए हैं।

सितंबर माह के अंत तक प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक की जाएगी। दोनों अखाड़े के प्रमुख संत अपने पाला बदलने की विधिवत घोषणा करेंगे। इसके बाद शासन-प्रशासन को बहुमत की सूचना दी जाएगी।

2021 में फंदे पर लटकता मिला था महंत नरेंद्र गिरि का शव 

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि का शव 20 सितंबर 2021 को प्रयागराज स्थित उनके श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में फंदे पर लटकता मिला था। इसके बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई।

20 अक्टूबर 2021 को हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के आश्रम में बैठक हुई। इसमें महानिर्वाणी के अलावा निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी, दिगंबर अनी, बड़ा अखाड़ा उदासीन निर्वाण, अटल व निर्मल अखाड़ा ने अखाड़ा परिषद की नई कार्यकारिणी गठित की।

महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष व निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महामंत्री बनाए गए। इसके बाद 25 अक्टूबर श्रीनिरंजनी अखाड़ा के प्रयागराज स्थित मुख्यालय पर जूना, अग्नि, आह्वान, श्रीनिरंजनी, नया उदासीन, आनंद के प्रमुख संत शामिल हुए थे।

अलग-अलग गुटों को समर्थन

इसके अलावा निर्मल अखाड़ा कुछ संतों ने अलग गुट बनाकर समर्थन दिया था। निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत दामोदर दास ने समर्थन पत्र भेजा था। श्रीनिरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि को महामंत्री चुना गया।

निर्मोही व निर्मल अखाड़ा के जिन संतों ने इस गुट को समर्थन दिया था, दूसरा गुट उसे नकार रहा था। इधर, श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण के मुखिया महंत दुर्गा दास ने लिखित रूप से रवींद्र पुरी व हरि गिरि गुट को समर्थन दिया है।

मामले में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने टिप्पणी करने से किया इनकार

निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत मुरली दास ने भी इसी गुट के साथ रहने का निर्णय लिया है। इससे श्रीनिरंजनी गुट को आठ अखाड़ों का समर्थन मिल गया है। वहीं, इस मामले में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी (सचिव श्री महानिर्वाणी अखाड़ा) ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। कहा कि जल्द बैठक बुलाकर सारी स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।

महंत हरि गिरि ने बनाई रणनीति

अखाड़ा परिषद में बहुमत प्राप्त करने के लिए महंत हरि गिरि ने व्यापक स्तर पर रणनीति बनाई थी। महाकुंभ को लेकर 18 जुलाई को मेला प्रशासन के साथ अखाड़ों के संतों की बैठक होनी थी।

इसके पहले 17 जुलाई 2024 की रात मौज गिरि मंदिर में महंत हरि गिरि ने महंत धर्मदास की जगह श्रीमहंत मुरली दास को सर्वसम्मति से निर्वाणी अनी अखाड़ा का मुखिया बनवा दिया। इसके बाद दो अखाड़ों का समर्थन मिल गया। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और अखाड़े पाला बदल सकते हैं।

निर्वाणी अनी अखाड़ा ने श्रीमहंत रवींद्र पुरी व महंत हरि गिरि के साथ रहने का निर्णय लिया है। यह निर्णय अखाड़ों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है। हम सबको साथ लेकर महाकुंभ-2025 का आयोजन कराएंगे। संतों व अखाड़ों को सुविधा दिलाने का हरस्तर पर प्रयास किया जाएगा।

-श्रीमहंत मुरली दास, अध्यक्ष अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अनी अखाड़ा

हमारे अखाड़े ने अखाड़ा परिषद के श्रीमहानिर्वाणी गुट को छोड़कर श्री निरंजनी अखाड़ा वाले संगठन में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह कदम महाकुंभ के बेहतर आयोजन और अखाड़ों की सुविधा बढ़ाने के लिए उठाया गया है। इसकी जल्द विधिवत घोषणा की जाएगी।

-दुर्गा दास, मुखिया महंत श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण

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