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Chandrashekhar Azad Jayanti: खास है क्रांतिवीर आजाद की पिस्टल, अंग्रेज खाते थे खौफ; 93 साल बाद भी कर सकती है ठांय-ठांय

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को अलीराजपुर के भाबरा में हुआ था। आजाद की पिस्टल उनके बलिदान के 93 साल बीतने पर भी बेहतर स्थिति में है। इस पिस्टल से फायर होने पर अब भी कड़क आवाज निकल सकती है। यह हैमरलेस सेमी आटोमेटिक है। इसमें आम शस्त्रों की तरह झटका नहीं लगता। इलाहाबाद संग्रहालय को पिस्टल तीन जुलाई 1976 को उप्र शासन से प्राप्त हुई थी।

By amardeep bhatt Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 23 Jul 2024 03:53 PM (IST)
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चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल के ट्रिगर, स्प्रिंग, नली, शटल सभी अच्छी स्थिति में

अमरदीप भट्ट, प्रयागराज। क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल उनके बलिदान के 93 साल बीतने पर भी ठांय-ठांय करने की स्थिति में है। 'आजाद' का बलिदान 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क में कर्नलगंज पुलिस से घिर जाने पर हुआ था। जन्म 23 जुलाई 1906 को अलीराजपुर के भाबरा में हुआ था।

इलाहाबाद राष्ट्रीय संग्रहालय ने अपने कंजर्वेटर (संरक्षण विशेषज्ञ) से उनकी पिस्टल की साफ-सफाई व ग्रीसिंग कराकर ऐसे सुरक्षित रखा है कि यह पहले की तरह चालू हालत में है। ट्रिगर, स्प्रिंग, नली, शटल आदि सक्रिय हैं।

32 बोर की है काल्ट पिस्टल

इलाहाबाद संग्रहालय को आजाद की पिस्टल तीन जुलाई 1976 को उप्र शासन से प्राप्त हुई थी। इसे केंद्र सरकार को नाट बाबर ने दिया था जो अंग्रेजों से आजाद की मुठभेड़ के समय इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के पुलिस अधीक्षक थे। यह काल्ट पिस्टल प्वाइंट 32 बोर की है।

स्वयं आजाद ने इसका नाम बमतुल बुखारा रखा था। संग्रहालय प्रशासन की मानें तो सेना से संबंधित जितने भी लोगों ने विगत महीनों तक इसे देखा वे अनुभव के आधार पर कहते रहे हैं कि काल्ट पिस्टल है जल्दी खराब नहीं होगी।

काफी खास है पिस्टल

संग्रहालय के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस पिस्टल से फायर होने पर अब भी कड़क आवाज निकल सकती है। यह हैमरलेस सेमी आटोमेटिक है यानी इसमें आम शस्त्रों की तरह झटका नहीं लगता। इसमें आठ बुलेट की एक मैग्जीन लगती है। मारक क्षमता करीब 20 मीटर है। यह अंग्रेजों के द्वारा शस्त्रों में अपनाई गई तकनीक से आगे थी, इससे फायर होने पर धुआं नहीं निकलता।

साल में दो बार होती है सफाई

इलाहाबाद संग्रहालय इसे साल में दो बार साफ कराता है। हालांकि, जब वीथिका वाले शो-केस से इसे साफ सफाई के लिए निकाला जाता है तो उसकी लिखित सूचना वहीं चस्पा की जाती है। संरक्षण विशेषज्ञ शस्त्र को उसकी वर्तमान हालत में बनाए रखने में सिद्धहस्त हैं।

इलाहाबाद राष्ट्रीय संग्रहालय मीडिया प्रभारी डा. राजेश मिश्रा के अनुसार, चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल आज भी पहले की तरह चालू हालत में है। बुलेट लगाकर इससे फायर किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सकता।

देश के क्रांतिकारियों ने कभी अंग्रेजी दासता स्वीकार नहीं की

अमर क्रांतिकारी श्रद्धांजलि समूह की ओर से मुंशी राम प्रसाद की बगिया नारायण वाटिका में सोमवार को अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद व बाल गंगाधर तिलक की जन्मतिथि मनाई गई। इस दौरान हुई संगोष्ठी में मुख्य अतिथि महापौर गणेश केसरवानी रहे। उन्होंने दोनों महापुरुषों को नमन किया।

कहा, क्रांतिकारियों ने कभी अंग्रेजों की की दास्ता को स्वीकार नहीं किया। संषर्ष किया, प्राणों की आहुति तक दी। हम सब की जिम्मेदारी है इस स्वतंत्रता को बनाए रखें। आयोजन में कुमार नारायण, पूर्व पार्षद विजय वैश्य, पार्षद किरन जायसवाल, सुनीता चोपड़ा, रितेश मिश्र, नीरज गुप्ता, राजेश केसरवानी, अभिलाष केसरवानी आदि ने विचार रखे।

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आजाद पार्क में आज नहीं लगेगा प्रवेश शुल्क

आजाद पार्क में मंगलवार को प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में प्रवेश शुल्क नहीं लगेगा। राजकीय उद्यान अधीक्षक उमेश चंद्र उत्तम ने बताया कि वर्ष के पांच दिन आजाद पार्क में मुफ्त प्रवेश दिया जाता है।

इसमें 26 जनवरी गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस, दो अक्टूबर गांधी जयंती के साथ साथ चंद्रशेखर आजाद की जन्मतिथि और उनकी पुण्यतिथि पर लोगों को मुफ्त प्रवेश दिया जाता है। आम दिनों में आजाद पार्क में पांच रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता है।