'चाइनीज मांझे के इंपोर्ट-सेल पर रोक के लिए क्या किया', HC ने यूपी सरकार से पूछा; अगली सुनवाई में मांगी लिस्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि उसने चीनी मांझे के आयात और बिक्री पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर जनपदवार कार्रवाई की सूची भी मांगी है। चीनी मांझे से लोगों और पशु-पक्षियों को होने वाले नुकसान को देखते हुए याचिकाकर्ता ने इसके आयात और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी।
विधि संवाददाता, जागरण, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि उसने चाइनीज मांझे के आयात व बिक्री पर रोक सुनिश्चित करने के लिए क्या व्यवस्था बनाई है। इस पर रोक के लिए जारी विभिन्न शासनादेशों पर अमल किस प्रकार किया जा रहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर जनपदवार कार्रवाई की सूची भी तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
यह आदेश जस्टिस राजन राय व जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिया। याची ने चाइनीज मांझे की वजह से लोगों व पशु-पक्षियों के घायल होने का हवाला देते हुए इसके आयात व बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है।
राज्य सरकार की ओर से तमाम शासनादेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि सिंथेटिक मांझा, लेड कोटेड, नायलान पतंग डोरी व चाइनीज मांझा पर रोक लगाते हुए सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
हालांकि कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और टिप्पणी भी की कि प्रश्न शासनादेश जारी करने भर का नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि इन शासनादेशों पर अमल किस प्रकार किया जा रहा है। कोर्ट ने पर्यावरण विभाग को भी पक्षकार बनाने का आदेश देते हुए उससे भी जवाब तलब किया है।
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