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सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती, इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कर्मचारी की सर्विस बुक में प्रथम बार दर्ज जन्म तिथि संशोधित नहीं की जा सकती। भले ही बोर्ड में जन्मतिथि को संशोधित कर दिया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने झांसी जिले में सेवारत अध्यापिका की याचिका खारिज करते हुए दिया है। अध्यापिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी के 19 अप्रैल 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Sun, 26 Nov 2023 09:07 AM (IST)
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सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती, इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कर्मचारी की सर्विस बुक में प्रथम बार दर्ज जन्म तिथि संशोधित नहीं की जा सकती। भले ही बोर्ड में जन्मतिथि को संशोधित कर दिया हो।

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने झांसी जिले में सेवारत अध्यापिका कविता कुरील की याचिका खारिज करते हुए दिया है। अध्यापिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी के 19 अप्रैल 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें जन्मतिथि को संशोधित करने से मना कर दिया गया था।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि हाईस्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार जन्मतिथि तीन नवंबर 1967 है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने गलती मानते हुए ठीक भी कर दिया है। ऐसी स्थिति में हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर उक्त नियमावली के तहत याची अध्यापिका की सर्विस बुक में जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 की जगह तीन नवंबर 1967 दर्ज की जाए।

हाई कोर्ट ने शिक्षिका की याचिका की खारिज

बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी की तरफ से अधिवक्ता ने कहा कि याची की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापिका वर्ष 2006 में औरैया में हुई थी। हाईस्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार उस समय उम्र तीन नवंबर 1960 दर्ज थी। यही जन्मतिथि सर्विस बुक में दर्ज की गई। अब सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर याची रिटायर कर दी गई है।

हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर ही उसकी जन्म तिथि दर्ज है और ऐसी स्थिति में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा भले ही जन्मतिथि संशोधित कर दी गई हो, इस आधार पर सर्विस बुक में संशोधन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के तर्क को सही मानते हुए कहा कि यूपी रिक्रूटमेंट आफ सर्विस ( डिटरमिनेशन का डेट ऑफ़ बर्थ) रूल्स 1974 के नियम दो के अनुसार सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड के आधार पर दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस नियमावली में प्रतिपादित सिद्धांत को आधार बनाते हुए फैसला दिया है। कहा है कि यह नियमावली स्पष्ट है। इसमें कोई दुविधा नहीं है कि सर्विस बुक में दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता और वह भी तब, जब कर्मचारी रिटायरमेंट के करीब हो।

जन्मतिथि संशोधित करने की थी मांग

हाईस्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार याची टीचर की जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 दर्ज थी। प्रोविजनल सर्टिफिकेट में तीन नंबर 1967 दर्ज था। काफी समय नौकरी करने के बाद याची ने वर्ष 1997 एवं 1998 में सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद को अर्जी देकर जन्मतिथि संशोधित करने की मांग की।

वर्ष 2021 में जन्मतिथि संशोधित हुई और हाई स्कूल सर्टिफिकेट मिला और इसके बाद याची ने सर्विस बुक में संशोधित जन्मतिथि दर्ज करने की मांग की थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने ऐसा करने से मना कर दिया।

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