निठारी कांड में इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला, सुरेंद्र कोली और मनिंदर की फांसी की सजा रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के निठारी कांड में सीबीआइ कोर्ट द्वारा सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील मंजूर कर ली है। आरोप संदेह से परे साबित न हो पाने के कारण निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सुरक्षित कर लिया था।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Mon, 16 Oct 2023 11:19 AM (IST)
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। नोएडा में निठारी गांव के 17 वर्ष पुराने जिस जघन्य कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, उसके अभियुक्तों मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को सजा दिलाने में अभियोजन नाकामयाब रहा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को दोनों को निर्दोष करार देते हुए सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को रद कर दिया है। सीबीआइ कोर्ट ने पंधेर को दो और कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हों तो दोनों अभियुक्तों को रिहा किया जाए। हाई कोर्ट ने 2010 से 2023 तक चली 134 सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया है।
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न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने फैसला 14 सितंबर को सुरक्षित कर लिया था। सीबीआइ के अधिवक्ता का कहना है कि निर्णय का अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की जा सकती है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने फैसला 14 सितंबर को सुरक्षित कर लिया था। सीबीआइ के अधिवक्ता का कहना है कि निर्णय का अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा, अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में नाकाम रहा है। जो परिस्थितिजन्य साक्ष्य पेश किए गए हैं वे दुष्कर्म व हत्या का दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जिस तरह जांच की गई है, उससे हम निराश हैं। अभियोजन केवल कोली के जुर्म कबूलने के इकबालिया बयान पर ही केंद्रित है, जो अन्य साक्ष्यों से समर्थित नहीं है।
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कंकाल बरामदगी में जो निर्धारित कानूनी प्रक्रिया है, वह नहीं अपनाई गई। उसे पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। गिरफ्तारी, बरामदगी और इकबालिया बयान में महत्वपूर्ण बिंदु गायब हैं।अभियुक्त की न मेडिकल जांच कराई गई ना ही बयान दर्ज करते समय उसे विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई। अभियोजन, मानव अंग व्यापार में कोली की संलप्तितता भी शामिल करने में विफल रहा है।
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