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महाकुंभ में श्रद्धालुओं को होंगे अमृत कलश के दर्शन, प्रयागराज में इस जगह पर किया जाएगा स्थापित

संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार महाकुंभ के दौरान संग्रहालय की तरफ से स्थापित अमृत कलश देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। अमृत टपकता कुंभ श्रद्धालुओं के लिए सेल्फी प्वाइंट के तौर पर विकसित किए जाने की योजना है। महाकुंभ के पौराणिक महत्व को देखते हुए ही इस बार अमृत कलश की स्थापना का निर्णय लिया गया है।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sun, 03 Nov 2024 08:11 PM (IST)
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सेल्फी प्वाइंट के रूप में होगा विकसित
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस बार प्रदेश सरकार महाकुंभ को पिछले सभी कुंभ से ज्यादा विराट, भव्य और दिव्य बनाने के लिए प्रयागराज में चौबीस घंटे काम कर रही है। इसी क्रम में इलाहाबाद संग्रहालय प्रयागराज ने महाकुंभ की भव्यता को नया रूप देने की योजना बनाई है।

संग्रहालय ने महाकुंभ के दौरान कलश से टपकती अमृत की बूंद के दृश्य को प्रतिकृति के रूप में प्रदर्शित करने का फैसला किया है। भारतीय कला व संस्कृति को प्रदर्शनी के द्वारा प्रदर्शित करने के लिए बाकायदा मेला प्रशासन से लगभग 12 हजार वर्ग फिट जमीन की डिमांड भी की गई है।

सेल्फी प्वाइंट के रूप में होगा विकसित

संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार महाकुंभ के दौरान संग्रहालय की तरफ से स्थापित अमृत कलश देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। अमृत टपकता कुंभ श्रद्धालुओं के लिए सेल्फी प्वाइंट के तौर पर विकसित किए जाने की योजना है। महाकुंभ के पौराणिक महत्व को देखते हुए ही इस बार अमृत कलश की स्थापना का निर्णय लिया गया है।

क्रांतिकारियों की गाथा का प्रदर्शन

इसके साथ ही इलाहाबाद संग्रहालय प्रयागराज ने दुनिया की पहली ऐसी वीथिका का भी निर्माण किया है, जहां सन 1857 से लेकर आजादी मिलने तक सभी प्रमुख क्रांतिकारियों की गाथा का प्रदर्शन किया गया है। जिसमें देश की आजादी के लिए लड़ने वाले गरम दल के लगभग सभी क्रांतिकारियों को प्रदर्शित किया गया है।

90 साल की क्रांति का सजीव चित्रण

इलाहाबाद संग्रहालय ने 90 साल की क्रांति को जीवंत रूप दिया है। यहां मंगल पांडे से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक लगभग सभी बड़े आजादी के परवानों के बारे में लोगों को जानने को मिलेगा। डिजिटल और आलेखों से बनी यह दुनिया की पहली वीथिका है, जहां एक साथ इतने क्रांतिकारियों को नमन करने और उनकी खूबियां जानने का अवसर मिलेगा। 1857 से लेकर 1947 तक देश पर न्योछावर एक एक वीर का इतिहास जानकर लोग दंग रह जाएंगे।

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