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Diwali 2024: 31 अक्‍टूबर या एक नवंबर? कब मनाई जाएगी दीपावली, ज्योतिर्विदों ने दूर किया संशय

Diwali 2024 दीपोत्सव (दीवाली) पर्व की शुरुआत 29 अक्टूबर से होगी जो 4 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाएंगे जिनमें शामिल हैं। इनमें धनतेरस (29 अक्टूबर) हनुमान जयंती (30 अक्टूबर) दीवाली (31 अक्टूबर) गोवर्धन पूजा (1 नवंबर की जगह 2 नवंबर को मनाई जाएगी) भइया दूज (2 नवंबर)। ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग होने से इस वर्ष दीपोत्सव का महत्व बढ़ गया है।

By Sharad Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 24 Oct 2024 08:23 AM (IST)
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दीपोत्सव पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है।- जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Diwali 2024 Date सुख व समृद्धि के पर्व दीपोत्सव पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। उसमें यम-नियम से दीपदान व पूजन करने वाले को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। दीपोत्सव का शुभारंभ कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर से होगा। दीवाली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धनतेरस, हनुमान जयंती, दीपावली, गोवर्धन पूजा व भइया दूज जैसे पर्व मनाए जाएंगे। वहीं, एक नवंबर को कोई पर्व नहीं मनेगा।

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस पर्व से हो जाएगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष भी है। इससे धनतेरस का महत्व बढ़ गया है। हनुमान जी के जन्मोत्सव, दीपावली पर्व, गोवर्धन पूजा, भइया दूज पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। अमावस्या तिथि का संचरण एक नवंबर की शाम तक होने के कारण उस दिन कोई पर्व नहीं मनाया जाएगा।

पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार उत्तरा फाल्गुनी व हस्त नक्षत्र के साथ प्रदोष होने से धन त्रयोदशी (धनवंतरि जयंती) का महत्व बढ़ गया है। समुद्र मंथन में जिस कलश के साथ भगवती लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। उसी के प्रतीक स्वरूप धन, ऐश्वर्य वृद्धि की कामना से सोना, चांदी, बर्तन, वाहन, भौतिक सुख साधना की खरीदारी करना उचित रहेगा।

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कब क्या मनाया जाएगा

-29 अक्टूबर : कार्तिक कृष्णपक्ष की द्वादशी तिथि सुबह 11.04 बजे तक है। इसके बाद सुबह 11.05 बजे से त्रयोदशी तिथि लग जाएगी। जो 30 अक्टूबर की दोपहर 1.08 बजे तक रहेगी। सुबह से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा, जबकि शाम 7.55 बजे से हस्त नक्षत्र लग जाएगा। इसके साथ प्रदोष भी है। इसमें दीपदान शाम को किया जाता है। इसी कारण मुख्य दरवाजे पर चार दीपक जलाने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इंद्र का पूजन करने का विधान है।

-30 अक्टूबर : कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि दोपहर 1.09 बजे से लग जाएगी। संकटमोचन हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हनुमानजी का जन्मोत्सव मेष लग्न में हुआ था। मेष लग्न शाम 4.58 से 6.35 बजे तक है। इसी समयावधि में हनुमानजी का प्राकट्य उत्सव मनाना चाहिए। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमत कृपा की प्राप्ति होगी।

-31 अक्टूबर : कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 3.16 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि दोपहर 3.17 बजे लगेगी। उक्त तिथि पर सुबह 11.20 बजे से प्रीति योग, चित्रा नक्षत्र है। दोपहर में 1.56 से 3.26 बजे तक कुंभ की स्थिर रहेगी। दोपहर 3.26 से 4.55 बजे तक मीन स्थिर लग्न और शाम 6.31 बजे 8.27 बजे तक वृष की स्थित लग्न रहेगी। इसी समयावधि में दीपदान करना चाहिए। सुबह स्नान के बाद हनुमत दर्शन करना चाहिए।

-एक नवंबर : उक्त तारीख को कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि शाम 5.17 बजे तक है, जबकि सूर्यास्त 5.38 बजे होगा। सूर्यास्त से पहले अमावस्या समाप्त हो जाएगी। इसी कारण उक्त तारीख को कोई पर्व नहीं मनाया जाएगा।

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-दो नवंबर: कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि शाम 7.05 बजे तक रहेगी। इसमें गोवर्धन पूजा की जाती है। दोपहर 1.48 से 3.19 तक कुंभ की स्थिर लग्न है। इसके बाद शाम 6.24 से रात 8.20 बजे तक वृष लग्न रहेगी। इसमें पूजन किया जा सकता है। गाय के गोबर का पर्वत बनाकर उसका पूजन करने से धन, वैभव व लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

-तीन नवंबर : कार्तिक शुक्लपक्ष की रात 8.27 बजे तक द्वितीया तिथि है। इसमें अनुराधा नक्षत्र व सौभाग्य योग दोपहर 12.18 बजे तक है। इसके बाद सोभन योग लगेगा। भइया दूज का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। दोपहर 1.44 से 3.15 बजे तक कुंभ की स्थिर लग्न उक्त समयाविध में बहन अपने भाई की बलाएं लेंगी तो उचित रहेगा। यमराज के दूत चित्रगुप्त व कलम-दवात का पूजन इसी दिन किया जाएगा।

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