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Hello Doctor: हाथ-पैर में झुनझुनाहट, सिर व कमर में दर्द को न करें अनदेखा

प्रयागराज में दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के वरिष्ठ न्यूरो फिजीशियन डा. कमलेश कुमार सोनकर ने हिस्‍सा लिया। इन्‍होंने तमाम लोगों को फोन के माध्‍यम से लोगों के शरीर की तकलीफों को सुना और उसका उपाय बताया। साथ ही उन्‍होंने कई ऐसी चीजों के बारे में बताया जिससे सुनकर जानकर आप खुद हैरान रह जाएंगे।

By amardeep bhatt Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 14 Aug 2024 12:00 PM (IST)
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किसी भी प्रकार की दिक्‍कत होने पर डॉक्टर का परामर्श लेकर ही जांच करानी चाहिए। सांकेतिक तस्‍वीर
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। हाथ-पैर में झुनझुनाहट हो रही है, सिर या कमर में अक्सर दर्द बना रहता है तो इसे मामूली न समझें। यह मानकर चलें कि शरीर में कहीं कुछ समस्या है। इसकी प्राथमिक पहचान के लिए अस्पताल में डॉक्टर का परामर्श लेकर जांच करा लेना चाहिए।

मेडिकल स्टोर से दर्द निवारक दवा लेकर खाते रहने की आदत न डालें। यह बातें मंगलवार को दैनिक जागरण के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के वरिष्ठ न्यूरो फिजीशियन डा. कमलेश कुमार सोनकर ने कहीं। प्रस्तुत है बीमारियों से पीड़ित लोगों की डा. कमलेश से हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

डिस्क के प्रति रहें सावधान

शंकरगढ़ की मौसला बानो ने बताया कि उनकी कमर में अक्सर दर्द बना रहता है। हाथ और पैर में जलन होती है। डा. कमलेश सोनकर ने कहाकि रीढ़ में डिस्क कहीं से स्लिप होने की संभावना लग रही है। इसका इलाज होगा, दवाएं चलेंगी लेकिन सावधानी स्वयं बरतना होगा। कुछ ऐसा काम न करें जिससे शरीर को झटका लगे।

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उकड़ू न बैठें, कोई वजनदार वस्तु न उठाएं और घर से कहीं बाहर जाएं तो कमर बेल्ट बांधे रहें। बेल्ट को बैठते या लेटते समय ही उतारें। स्लिप डिस्क के संबंध बताया कि अचानक शरीर को झुका लेने, गिरी हुई चीज को उठाते समय या कमर के पास तेज झटका लगने पर हो सकती है। यह सुझाव उन्होंने देवनगर झृंसी निवासी एचएस सिंह की ओर से परेशानी बताने पर दिया।

डाक्टर का परामर्श जरूर लें

शिवकुमार अग्निहोत्री ने बताया कि दर्द गर्दन से उठता है और पैर तक पहुंचता है। इससे परेशान हैं। उन्हें डा. कमलेश सोनकर ने बताया कि यह सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस की समस्या लग रही है। इसमें सावधानी बरतनी होगी। गर्दन को झटका न लगने दें, तकिया ऐसी लगाएं कि साेते समय गर्दन ज्यादा न उठे।

शरीर को एक लिमिट तक झुकाएं। कोई वजनदार वस्तु को उठाने की कोशिश न करें। इसके अलावा अस्पताल में जाकर इलाज के लिए डाक्टर का परामर्श ले लें। बताया कि इस तरह की परेशानी तकलीफदेह होती है, इलाज में लेटलतीफी करने से समस्या बढ़ जाती है।

स्ट्रोक से हो सकता है पार्किंसन

राजापुर के अनूप शुक्ला ने बताया कि मां की अवस्था 50 साल है। उन्हें बोलने में दिक्कत होने लगी है। मुंह में लार बनने लगी है। हाथ पैर में झुनझुनाहट होती है। उन्हें डा. कमलेश ने बताया कि कभी-कभी स्ट्रोक के मरीज में पार्किंसन भी हो जाता है। एक बीमारी से कई अन्य बीमारियां पनप सकती है। बेहतर होगा कि मां को लेकर अस्पताल जाएं, वहां चेकअप कराएं।

मरीज सामने आता है तो बातचीत से बीमारी की जड़ तक पहुंचा जा सकता है। ऐसे ही अन्य मरीजों के लिए कहाकि अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें, जितना हो सके बचाव करें। कोई बीमारी हो गई है तो इलाज के लिए स्वयं जागरूक हो जाएं।

डायबिटीज न्यूरोपैथी में दवाएं देती हैं आराम

झूंसी के नरेश चंद्र निषाद ने बताया कि उन्हें 26 साल से डायबिटीज है। हाथ पैर में जलन होने लगी है। इसे डा. कमलेश सोनकर ने डायबिटीज न्यूरोपैथी कहा। बताया कि इतने लंबे समय से डायबिटीज है तो नसें कहीं न कहीं प्रभावित हो चुकी हैं।

ऐसे में कुछ दवाएं चलती हैं, इससे काफी हद तक आराम हो जाता है। सबसे अच्छा तो यह है कि डायबिटीज को नियंत्रित करके रखें। डाक्टर के परामर्श से जो दवाएं खा रहे हैं उसे नियमित रखें। इससे दूसरी परेशानी उत्पन्न होने से बचाया जा सकता है।

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मिर्गी का हो जाता है इलाज

फूलपुर के संतोष ने बताया कि छोटे भाई को झटके आते हैं कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि यह मिर्गी है। इस पर डा. कमलेश सोनकर ने कहा कि मिर्गी के कई कारण हो सकते हैं। इसको लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं। जबकि इलाज कराने पर मरीज काफी हद तक स्वस्थ हो सकता है। ऐसे लोगों को लेकर अस्पताल आना चाहिए। जांच कराने के बाद इलाज किया जाता है।

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