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Prayagraj News: मां और बेटे को कमरे में बंद कर पीटना डॉक्‍टरों को पड़ा भारी, तीन निलंबित

प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में एक महिला मरीज के तीमारदार मां-बेटे को कमरे में बंद करके पीटने वाले तीन रेजीडेंट डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया है। जांच में उन्हें गंभीर अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया है। यह वही डॉक्टर हैं जो घटना के वायरल वीडियो में दिख रहे हैं। प्राक्टर ने आरोपित डाक्टरों के निलंबन की संस्तुति इसलिए की क्योंकि तीमारदारों को पीटना गलत कदम था।

By amardeep bhatt Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 07 Sep 2024 11:30 AM (IST)
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तीन रेजीडेंट डाक्टरों को मारपीट करने दुष्परिणाम भुगतना पड़ा। जागरण

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। महिला मरीज के तीमारदार मां-बेटे को कमरे में बंद करके पीटने वाले एसआरएन के तीन रेजीडेंट डाक्टरों को दुष्परिणाम भुगतना पड़ा। जांच कर रहे प्राक्टोरियल बोर्ड ने उन्हें गंभीर अनुशासनहीनता का दोषी माना, तीनों को अगले 10 दिनों के लिए निलंबित कर दिया।

यह वही डाक्टर हैं जो घटना के प्रसारित हुए वीडियो में दिख रहे हैं। इस अवधि में ये अस्पताल में कोई भी चिकित्सीय कार्य नहीं कर पाएंगे, उन्हें प्राचार्य के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। बोर्ड ने जांच रिपोर्ट एमएलएन मेडिकल कालेज की कार्यकारी प्राचार्य को सौंप दी है।

दो सितंबर की रात डाक्टरों ने अमानवीयता दिखाते हुए बांदा के बबेरू से आए मां-बेटे को खूब पीटा था। उनके कपड़े तक फाड़ दिए। युवक चीखता चिल्लाता रहा, छोड़ देने की गुहार लगाता रहा, मां अपने बच्चे की पिटाई से आहत होकर पहले तो तड़पी फिर बेहोश हो गई।

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इसके बावजूद दो डाक्टर उसके बेटे को घूंसों से मारते रहे, जबकि एक डाक्टर ने वहां पहुंचे एसआरएन पुलिस चौकी के सिपाही के मोबाइल फोन पर झपट्टा मारा, उसके वीडियो बनाने का विरोध करते हुए गाली गलौच की थी। वीडियो सैकड़ों मोबाइल फोन पर प्रसारित हो गया तो मेडिकल कालेज प्रशासन ने मामले की जांच बैठा दी और प्राक्टर डा. दिलीप चौरसिया के नेतृत्व में टीम बना दी गई।

पुलिस चौकी थी, फिर भी मारा

प्राक्टर ने आरोपित डाक्टरों के निलंबन की संस्तुति इसलिए की क्योंकि तीमारदारों को पीटना गलत कदम था। अस्पताल परिसर में पुलिस चौकी है, दो डाक्टरों ने पहले फोन करके पुलिस को सूचना दे दी थी। सिपाही पहुंच गए थे ऐसे में तीमारदारों को पकड़कर पुलिस के हवाले करना चाहिए था।

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यूरोलाजी विभागाध्यक्ष और प्राक्टर डा. दिलीप चौरसिया ने कहा कि जब डाक्टरों पर तीमारदार ने पहले हमला किया तो इसकी सूचना वार्ड से पुलिस चौकी को दी गई। इससे पहले डाक्टरों को चाहिए था कि अपने वरिष्ठ डाक्टरों को बताते। यह अनुशासनहीनता है। इसलिए तीनों आरोपित डाक्टरों को निलंबित किया गया।

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