UP News: महाकुंभ 2025 में वंचित समाज के 71 संत बनेंगे महामंडलेश्वर, दिया जा रहा प्रशिक्षण
महाकुंभ मेला 2025 में वंचित समाज के 71 संत महामंडलेश्वर बनेंगे। यह कदम सामाजिक समरसता और धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है। महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वाले संतों को मठ-मंदिरों के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी जिससे वे समाज में अपनी गतिविधियों का विस्तार कर सकें। यह उपाधि पाने वालों ने अखाड़े से जुड़कर संन्यास लिया है।
शरद द्विवेदी, जागरण प्रयागराज। सनातन धर्म के वैभव का प्रतीक महाकुंभ सामाजिक समरसता का संदेश देगा। संगम तीरे वंचित समाज के लोग महामंडेश्वर जैसे सम्मानित पद को सुशोभित करेंगे। मतांतरण रोकने, सामाजिक समसरता कायम करने के लिए वंचित समाज (अनुसूचित जाति व जनजाति) के 71 लोगों को जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर की उपाधि देगा।
अनुसूचित जाति के प्रथम जगदगुरु स्वामी महेंद्रानंद गिरि के निर्देशन में सबका प्रशिक्षण चल रहा है। महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वालों ने दो-तीन वर्ष पहले अखाड़े से जुड़कर संन्यास लिया था। सनातन धर्म व अखाड़े के प्रति निष्ठा-समर्पण देखकर उन्हें महामंडलेश्वर बनाया जाएगा।
इसके साथ अखाड़ा उन्हें मठ-मंदिरों के संचालन की जिम्मेदारी देगा, जिससे वह सामाजिक व धार्मिक रूप से अपनी गतिविधि बढ़ाकर नए लोगों को जोड़ सकें। लोभ-भयवश उपेक्षित व सरकारी सुविधाओं से वंचित लोग मतांतरण करते हैं।
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ऐसे लोगों के बीच ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं। इसे देखते हुए जूना अखाड़ा के संत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र व गुजरात के आदिवासी व अनुसूचित जाति के वंचितों को जोड़ने में जुटे हैं।
महाकुंभ 2025 को बनाया जाएगा दिव्य। जागरण
अखाड़े ने 10 वर्षों में वंचित समाज के 5,620 के लगभग लोगों को संन्यास दिलाया है। वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति के कन्हैया प्रभुनंद गिरि को जूना अखाड़ा ने महामंडलेश्वर बनाया।वहीं, बीते अप्रैल माह में प्रयागराज स्थित मौज गिरि मंदिर में महेंद्रानंद गिरि को जगदगुरु तथा कैलाशांनद गिरि को महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई थी। फिर 30 अप्रैल, 2024 को जूना अखाड़ा ने गुजरात के सायंस सिटी सोला अहमदाबाद में मंगल दास, प्रेम दास, हरि प्रसाद व मोहन दास बापू को महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की।
वरिष्ठ सदस्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म का स्वरूप वृहद है। यह सबको सम्मान व अधिकार देता है। वंचित समाज के लोगों के संन्यास लेने व धार्मिक पद पर आसीन होने से सामाजिक समरसता आएगी। इससे सनातन धर्मावलंबी एकजुट होंगे।
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संरक्षक जूना अखाड़ा महंत हरि गिरि ने कहा कि सनातन धर्म में मतांतरण बड़ी समस्या है। इसका कारण धार्मिक व सामाजिक उपेक्षा है। जूना अखाड़ा उसे खत्म करने के लिए वंचित समाज के लोगों के बीच में काम कर रहा है। इससे प्रभावित होकर लोग संन्यास ले रहे हैं। उसमें जो योग्य व समर्पित हैं उन्हें महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाएगी।
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