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महाकुंभ 2025: स्वच्छता को लेकर मेला प्रशासन की ओर से व्यापक तैयारियां, 10 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की होगी तैनाती

कुम्भ मेले में स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए कुल 145000 शौचालय और मूत्रालयों की व्यवस्था की गई है। 300 से अधिक सेक्शन गाड़ियों और जेट स्प्रे सफाई प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। 10000 से अधिक कर्मचारी इन शौचालयों की सफाई सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही क्यूआर कोड के माध्यम से सेवा स्तर की निगरानी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की कमी को तुरंत दूर किया जा सके।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 16 Oct 2024 08:27 PM (IST)
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महाकुंभ 2025 को स्वच्छ कुंभ बनाएगी योगी सरकार।

डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ 2025 को योगी सरकार "स्वच्छ कुंभ" बनाने जा रही है। इस महाआयोजन को स्वच्छ बनाने का लिए योगी सरकार और मेला प्रशासन की ओर से व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। इसके तहत, 10 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही हैं। वहीं 1.5 लाख शौचालय और 25 हजार लाइनर बैग युक्त डस्टबिन स्थापित किए जा रहे हैं।

सामुदायिक एवं शिविर शौचालयों की स्थापना

कुम्भ मेले में स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए कुल 1,45,000 शौचालय और मूत्रालयों की व्यवस्था की गई है। 300 से अधिक सेक्शन गाड़ियों और जेट स्प्रे सफाई प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। 10,000 से अधिक कर्मचारी इन शौचालयों की सफाई सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही क्यूआर कोड के माध्यम से सेवा स्तर की निगरानी की जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की कमी को तुरंत दूर किया जा सके।

टिपर-हॉपर और कॉम्पेक्टर ट्रक की तैनाती

कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए 120 टिपर और 40 कॉम्पेक्टर ट्रकों का उपयोग किया जाएगा। प्रत्येक सेक्टर में ट्रांसफर स्टेशन की व्यवस्था की गई है और वाहनों की जीपीएस आधारित निगरानी होगी ताकि सफाई समय पर और प्रभावी रूप से की जा सके। 25,000 लाइनर बैग युक्त डस्टबिन लगाए जाएंगे और प्रतिदिन तीन बार इन बैगों को बदला जाएगा।

सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति और सुविधाए

कुम्भ मेले में 10,200 सफाई कर्मचारी (850 गैंग) तैनात किए जाएंगे। इनके रहने के लिए विशेष स्वच्छता कॉलोनियों का निर्माण किया गया है। साथ ही, इन कर्मचारियों की दैनिक मजदूरी का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा ताकि किसी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी न हो और मजदूरों को समय पर उनके श्रम का उचित मूल्य मिल सके।

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