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Prayagraj News: पहली बार यमुना पुल पर 100 की स्पीड से दौड़ी रेलकार, 159 साल में पहली बार हुआ ऐसा

प्रयागराज में शनिवार को इस ट्रैक पर स्पीड ट्रायल सफल रहा और इस ट्रैक पर स्पीड बढ़ाने की अनुमति दे दी गई। निरीक्षण प्रबंध निदेशक रविंद्र कुमार जैन और निदेशक परियोजना योजना पंकज सक्सेना ने बताया कि पहले न्यू डीडीयू- न्यू शुजातपुर (210 किमी) तक 75 किमी की गति होती थी। यह पहला यमुना पुल है जिसे कार्गों ढोने के लिए बनाया गया है।

By amarish kumar Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 28 Jul 2024 12:05 PM (IST)
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नैनी पर यमुना नदी पर बने नए रेल पुल पर मौजूद अधिकारी. सौ सीपीआरओ

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। नैनी नए रेल पुल पर शनिवार को 100 की स्पीड से रेल कार चली। रेल कार सुबह नौ बजे बजे डीडीयूएन से रवाना हुई और 82.53 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चार घंटे पांच मिनट में 337 किमी की दूरी तय करते हुए दोपहर 1.05 बजे न्यू कानपुर स्टेशन पहुंची। जबकि नए नैनी पुल पर निरीक्षण रेल कार की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटे रही।

यमुना पर बने पुल के 159 साल के इतिहास में यह पहली घटना है। इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने अधिकारियों ने तालियां बजाकर अभिनंदन किया। यह एक विशेष ट्रायल था जो सुजातपुर से डीडीयू तक डीएफसी ट्रैक पर 100 किमी प्रति घंटा की गति से मालगाड़ी चलाने के लिए हुआ था।

अब यहां 100 की स्पीड से मालगाड़ी चलाई जा सकेगी। इसके अलावा न्यू कानपुर में रनिंग रूम लाबी का शिलान्यास भी किया गया है। निरीक्षण के दौरान कार्यकारी निदेशक जीडी भगवानी, अनुराग यादव, एएस तोमर, महाप्रबंधक एबी सरन, आशीष मिश्रा, शशिकांत द्विवेदी, उप महाप्रबंधक मन्नू प्रकाश दुबे, जी मल्लिकार्जुन राव आदि मौजूद रहे।

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1865 में चली थी यमुना पुल पर पहली ट्रेन

यमुना नदी पर नैनी में बने पुराने रेल पुल पर 15 अगस्त 1865 से ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ था। यह पुल अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। इसके बाद डीएफसीआइएल द्वारा नया यमुना पुल बनाया गया। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए पुल के बाद यह पहला यमुना पुल है, जिसे कार्गों ढोने के लिए बनाया गया है।

13 जनवरी 2023 को नए डीएफसी के पुल पर मालगाड़ियों का आवागमन शुरू हुआ था। सोमवार को इसी पुल पर पहली बार 100 की स्पीड से रेल कार दौड़ी। यमुना पर बने इन दोनों पुलों पर पहली ट्रेन चलने की घटना को 159 साल बीत चुके हैं और अब इसमें एक और नया अध्याय जुड़ गया है।

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नैनी पुल का इतिहास

भारतीय उपमहाद्वीप पर रेलवे के आगमन के तुरंत बाद कोलकाता को दिल्ली से जोड़ने के लिए ईस्ट इंडियन रेलवे के प्रयास में इलाहाबाद में यमुना पर बना पुल एक महत्वपूर्ण कड़ी था। नैनी और इलाहाबाद के बीच इसका स्थान 1855 में ही तय हो गया था। विद्रोह के बाद 1859 में वास्तविक कार्य शुरू हुआ और दिल्ली-हावड़ा को जोड़ने के लिए श्री सिबली, मुख्य अभियंता के मार्गदर्शन में 15 अगस्त 1865 को पुल खोला गया।

इस पुल की लंबाई 3,150 फीट (960.12 मीटर) है। इसमें 200 फीट के 14 और 60 फीट के दो स्पैन हैं। पुल के ऊपर रेलवे लाइन है और नीचे सड़क है। इसे इंजीनियर रेन्डेल ने डिजाइन किया था। नीचे की नींव की गहराई 42 फीट तक है और निचले जल स्तर से गर्डर के नीचे की ऊंचाई 58.75 फीट है। गर्डर का वजन 4,300 टन है।

अनुमान है कि इसमें करीब 2.5 मिलियन क्यूबिक फीट चिनाई और ईंट का काम किया गया था। उस समय निर्माण की कुल लागत 44,46,300 रुपये थी, जिसमें से 14,63,300 रुपये गर्डर की लागत थी। इस पुल की एक अनूठी विशेषता इसका 13वां स्तंभ है, जिसका आकार ''हाथी के पैर'' के आकार का है।

2023 में शुरू हुआ नया यमुना रेल पुल

डीएफसीसीआईएल द्वारा यमुना नदी (प्रयागराज) पर भी एक उल्लेखनीय स्टील पुल बनाया गया है। यह यमुना नदी पर और प्रयागराज में सबसे लंबा पुल (1034 मीटर )पुल है। यह ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर का सबसे लंबा पुल है और इसमें 17 स्पैन, 34 गर्डर हैं, डबल लाइन ट्रैक बनाया गया था।

यह भारत के पूर्वी हिस्से को उत्तरी हिस्से से जोड़ने के लिए बनाया गया है ताकि भारी माल, खनिजों की आवाजाही हो सके और सुरक्षित , सुचारू ट्रेन संचालन हो सके। यह सब 2016 में 1034 मीटर लंबे दोतरफा पुल के निर्माण के लिए सर्वेक्षण के साथ शुरू हुआ था और कॉफ़रडैम विधि और कैसन तकनीक (45-50 मीटर की गहराई के साथ 9 मीटर व्यास वाले 18 कुओं की नींव) की मदद से बनाया गया था।

साथ ही, इसके खंभों की ऊंचाई 12.4 मीटर से लेकर 16.4 मीटर तक थी। 9520 मीट्रिक टन वजन वाले सभी 34 गर्डर स्वदेशी हैं और भारत में बने हैं, जिससे यह संरचना का एक उल्लेखनीय टुकड़ा बन गया है। यह एक भविष्योन्मुखी पुल है जिसे नदियों को जोड़ने वाले कार्गो मूवमेंट के लिए सतह और जलमार्ग परिवहन की संभावना को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिससे भारत एक लॉजिस्टिक हब बन जाएगा और आत्मनिर्भर भारत बनेगा।

इसके इष्टतम उपयोग से लाजिस्टिक लागत को कम करने का उद्देश्य प्रभावी होगा। इसके अलावा शनिवार को न्यू खतौली से न्यू पिलखनी (यूपी और डीएन) के बीच सेक्शनल गति को 75केएमपीएच से बढ़ाकर 100 केएमपीएच करने के लिए ट्रायल रन भी किया गया, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

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