Prayagraj News: विदेश के छात्रों का 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' से मोहभंग, आंकड़े बयां कर रहे पूरी कहानी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय जिसे पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है में विदेशी छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। 2012-2023 में 252 विदेशी छात्रों ने प्रवेश लिया लेकिन कोरोना काल के बाद केवल 5 विदेशी-एनआरआई छात्रों ने ही प्रवेश लिया। विश्वविद्यालय अब एनआरआई कोटे से छात्रों को प्रवेश दे रहा है लेकिन यह विदेशी छात्रों की कमी को पूरी तरह से नहीं भर पा रहा है।
मृत्युंजय मिश्र, प्रयागराज। "पूरब का ऑक्सफोर्ड" कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विदेशी छात्रों का मोहभंग हो गया है। 2012 से 2023 के बीच 252 विदेशी छात्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक, परास्नातक और पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले चुके हैं पर कोरोना काल के बाद तीन वर्षों में मात्र पांच विदेशी-एनआरआई छात्रों ने ही पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय को चुना।
2022-23 में तो एक भी प्रवेश नहीं हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी के अनुसार 2012 से 2023 के बीच 252 विदेशी छात्रों ने प्रवेश लिया है लेकिन कोरोना काल के बाद मात्र पांच छात्रों (तीन पीएचडी और दो स्नातक पाठ्यक्रमों में) ने ही प्रवेश लिया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और शिक्षण गुणवत्ता के कारण यहां जापान, वियतनाम, कंबोडिया, केन्या, मारीशस, मोजांबिक, सल्वाडोर, म्यांमार, मलावी, श्रीलंका, नाइजीरिया और मोत्सवाना जैसे देशों के छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने आते थे।
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आठ से 10 वर्ष पहले तक ऐसे विदेशी छात्रों की संख्या बहुतायत में रहती थी और इन छात्रों से अंतरराष्ट्रीय छात्रावास गुलजार रहता था। कोरोना महामारी के बाद यह स्थिति काफी बदल गई है। विदेशी छात्रों की संख्या में न केवल भारी गिरावट आई है, बल्कि अब विश्वविद्यालय में ज्यादातर प्रवेश एनआरआई छात्रों तक सिमट गया है।
कोरोना के बाद से छात्रों की संख्या घटी।-जागरण
विश्वविद्यालय में 2015-16 में सबसे ज्यादा 63 विदेशी छात्रों ने प्रवेश लिया था, लेकिन इसके बाद छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट देखी गई। 2019-20 में यह संख्या 14 पर पहुंच गई और कोरोना काल 2020-21 में केवल पांच विदेशी छात्र ही विश्वविद्यालय में दाखिला ले पाए।2021-22 में यह आंकड़ा घटकर मात्र 3 रह गया और 2022-23 में कोई भी विदेशी छात्र विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले सका। हालांकि, 2023-24 में 2 छात्रों ने फिर से प्रवेश लिया, लेकिन यह संख्या बहुत ही मामूली है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।विश्वविद्यालय में 2015-16 में सबसे ज्यादा 63 विदेशी छात्रों ने प्रवेश लिया था, लेकिन इसके बाद छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट देखी गई। 2019-20 में यह संख्या 14 पर पहुंच गई और कोरोना काल 2020-21 में केवल पांच विदेशी छात्र ही विश्वविद्यालय में दाखिला ले पाए।2021-22 में यह आंकड़ा घटकर मात्र 3 रह गया और 2022-23 में कोई भी विदेशी छात्र विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले सका। हालांकि, 2023-24 में 2 छात्रों ने फिर से प्रवेश लिया, लेकिन यह संख्या बहुत ही मामूली है।
एनआरआई कोटे पर निर्भरता
कोरोना के बाद विदेशी छात्रों की कमी को पूरा करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय अब एनआरआई कोटे के तहत छात्रों को प्रवेश दे रहा है। हर पाठ्यक्रम में पांच सीटें एनआरआइ छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। इससे विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों की कमी को आंशिक रूप से पूरा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वास्तविक कमी को पूरी तरह से नहीं भर पा रहा है। इसे भी पढ़ें-श्रीकाशी विश्वनाथ के गर्भ में गिरे थे श्रद्धालु, अब ड्यूटी में लापरवाही पर पांच पुलिसकर्मी निलंबित2024-25 के शैक्षणिक सत्र के लिए एनआरआइ वार्ड/स्पांसर्ड श्रेणी के छात्रों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है और आवेदन फार्म डाउनलोड कर 23 अक्टूबर रात 11:59 बजे आवेदन भेजना होगा। वर्षवार |
विदेशी छात्रों की संख्या |
2012-13 | 16 |
2013-14 | 29 |
2014-15 | 39 |
2015-16 | 63 (उच्चतम आंकड़ा) |
2016-17 | 37 |
2017-18 | 24 |
2018-19 | 20 |
2019-20 | 14 |
2020-21 | 5 |
2021-22 | 3 |
2022-23 | 0 |
2023-24 | 2 |