कई रूपों में चल रहा खेल... सस्ते फ्लैट के नाम पर लाखों की ठगी, प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भी हो रही धोखाधड़ी
PM Awas Yojana Fraud धोखाधड़ी का खेल कई तरह से चल रहा है। कुछ लोगों को प्रधानमंत्री आवास का झांसा देकर भी लाखों की धोखाधड़ी की। फर्जी कागजात तैयार करके रजिस्ट्री नहीं की। फाफामऊ के गंगा विहार कालोनी में रहने वाले शिव प्रसाद को झांसा देकर साइबर अपराधियों ने उनके खाते से 25 हजार रुपये गायब कर दिया ।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अगर आपको भी कोई सस्ता फ्लैट दिलवा रहा है तो जरा सतर्क हो जाएं। कहीं ऐसा न हो कि आप भी सस्ता फ्लैट बेचने वाले गैंग के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई की रकम गवां दें। शहर में ऐसा मामला सामने आया है।
कोर्ट के आदेश पर धूमनगंज पुलिस ने केंद्राचल कालोनी प्रीतम नगर निवासी शशांक चंद्रा, श्रवण कुमार केसरवानी, शशांक की पत्नी श्रुति व शुभ जायसवाल के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा कायम किया है। टीपी नगर निवासी मनोज कुमार केसरवानी का आरोप है कि बीते साल उनकी मुलाकात शशांक चंद्रा से हुई थी।
उसने खुद को आवासीय योजना का स्वामी और एजेंट बताया। छह लाख रुपये फ्लैट की कीमत बताई, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी व पत्नी के नाम बुक करवाया। इसके बाद तमाम जान पहचान वालों ने भी पैसा देकर बुकिंग कराई, लेकिन फ्लैट नहीं दिया।
कुछ लोगों को प्रधानमंत्री आवास का झांसा देकर भी लाखों की धोखाधड़ी की। फर्जी कागजात तैयार करके रजिस्ट्री नहीं की। इससे परेशान पीड़ितों ने पुलिस को शिकायत दी, लेकिन मुकदमा नहीं लिखा जाने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया। इससे पहले भी कुछ लोगों ने शशांक चंद्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
यह हुए ठगी के शिकार
सुमित कुमार केसरवानी, मो. ताज, विनय कुमार, नाव्या वैश्य, ममता केसरवानी, सुनील केसरवानी, दृष्टि गुप्ता, मोहित मित्रा, गोविंद कुमार, वंशिका केसरवानी, फौजिया परवीन, रंजू देवी, वर्षा केसरवानी, वंदना केसरवानी, सिद्धार्थ केसरवानी समेत कई अन्य लोगों से फ्लैट दिलाने के नाम पर 65 हजार रुपये से लेकर ढाई-ढाई लाख रुपये लिए गए। मगर किसी को फ्लैट नहीं मिला।बिजनेस पार्टनर बनाकर साढ़े पांच लाख हड़पे
प्रीतम नगर निवासी मदन मोहन तिवारी को बिजनेस पार्टनर बनाकर कुछ लोगों ने साढ़े पांच लाख रुपये हड़प लिए। इससे परेशान भुक्तभोगी ने अतुल रस्तोगी, अनूप कुमार मिश्रा उर्फ राजन और राकेश गोयल के खिलाफ धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। मदन मोहन का आरोप है कि बैट्री ई-रिक्शा व आटो डीलरशिप की फर्म गंगा इंटरप्राइजेज में विपक्षियों ने साझीदार बनाकर पैसा लगवाया, लेकिन बाद में लाभांश और मूलधन वापस नहीं किया गया।
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