2006 में मिली नौकरी… फिर भी पुरानी पेंशन की हकदार नहीं सरकारी मास्टर, हाई कोर्ट ने इसलिए खारिज की याचिका
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूल सहायक अध्यापक भर्ती 1998 में चयनित याची की प्रशिक्षण प्राप्ति के बाद 2006 में हुई नियुक्ति के कारण पुरानी पेंशन का लाभ देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि अभ्यर्थी प्रशिक्षण योग्यता हासिल कर रहा हो तो यह नहीं कहा जा सकता की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नियुक्ति के बाद ही चयन प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूल सहायक अध्यापक भर्ती 1998 में चयनित याची की प्रशिक्षण प्राप्ति के बाद 2006 में हुई नियुक्ति के कारण पुरानी पेंशन का लाभ देने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि यदि अभ्यर्थी प्रशिक्षण योग्यता हासिल कर रहा हो तो यह नहीं कहा जा सकता की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नियुक्ति के बाद ही चयन प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुषमा यादव की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची ने विशेष बीटीसी प्रशिक्षण 2006 में पूरा किया और नई पेंशन स्कीम पहली अप्रैल 2005 को लागू कर दी गई। याची की नियुक्ति 20 मई 2006 को हुई। इसलिए वह भर्ती 1998 की होने के आधार पर पुरानी पेंशन की मांग नहीं कर सकती।
याची का कहना था कि उसका चयन 1998 की भर्ती में हुआ है। नियुक्ति में देरी के लिए उसे दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट के अंतरिम आदेश से याची ने 20 जुलाई 2004 को जंगीपुर प्राइमरी स्कूल गाजीपुर में सहायक अध्यापक पद पर ज्वाइन किया।
विशेष बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाणपत्र जारी होने के बाद उसे 2006 में नियुक्त किया गया। नियुक्ति के 17 साल बाद याची ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 17 नवंबर 2023 को पुरानी पेंशन के लिए प्रत्यावेदन दिया।
कहा, नियुक्ति में देरी में उसकी गलती नहीं है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने कहा कि बीटीसी प्रशिक्षण नियुक्ति की योग्यता है, जिसे चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं माना जा सकता। इसलिए याची पुरानी पेंशन की हकदार नहीं है। कोर्ट ने जनार्दन राय केस में दिए गए फैसले का अनुसरण करते हुए पुरानी पेंशन की मांग निराधार करार देते हुए याचिका खारिज कर दी।
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