Gyanvapi Case : मुख्य न्यायाधीश ने वकील से कहा- इस मामले में सरकार का पक्ष स्पष्ट करिए- अधिवक्ता ने कहा...
Gyanvapi Case इससे पहले न्यायमूर्ति पाडिया की अदालत में 75 दिनों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। सोमवार 28 अगस्त को फैसले की तारीख तय की थी लेकिन अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने 16 अगस्त को केस वापस मंगा लिया और 28 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
विधि संवाददाता, प्रयागराज : वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी जिला अदालत में विचाराधीन सिविल वाद ग्राह्य (पोषणीय) है अथवा नहीं, इस संबंध में निर्णय में वक्त लगेगा। सिविल वाद की ग्राह्यता मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में फिर सुनवाई शुरू हो गई है।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया द्वारा इस मामले में निर्णय सुनाए जाने से पहले केस वापस ले लिया है। अब अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
75 दिनों तक चली थी लंबी बहस
इससे पहले न्यायमूर्ति पाडिया की अदालत में 75 दिनों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। सोमवार 28 अगस्त को फैसले की तारीख तय की थी, लेकिन अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने 16 अगस्त को केस वापस मंगा लिया और 28 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
जज बोले- सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे
सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश ने अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी से इस मामले में सरकार का पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा। अपर महाधिवक्ता ने कहा, सरकार सिविल वाद में पक्षकार नहीं है किंतु हाई कोर्ट में पक्षकार बनाया गया है। सरकार पर केवल कानून व्यवस्था बरकरार रखने की जिम्मेदारी है।
विवाद से उसका कोई सरोकार नहीं है। इसके बाद मसाजिद कमेटी के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने अमर सिंह केस में दिए गए पूर्णपीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 75 दिन बहस चली।
तीन बार फैसले की तिथि तय हुई और फैसला आने से पहले पता चला कि फिर से सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि अर्द्ध श्रुत (पार्ट हर्ड) केस सामान्यतया स्थानांतरित नहीं किया जाता।
हालांकि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के केस सुनवाई के अधिकार को स्वीकार किया। कहा कि वह आपत्ति नहीं कर रहे, वरन विधिक स्थिति कोर्ट में रख रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि कई बार फैसले की तिथि तय हुई किंतु केस तय नहीं हो सका। मुख्य न्यायाधीश को केस तय करने के लिए दूसरी पीठ को नामित करने अथवा सुनवाई करने का अधिकार है।
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा- भारत सरकार की क्या भूमिका
मुख्य न्यायाधीश ने मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी व अजय सिंह, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता से विवाद के संबंध में जानकारी ली। भारत सरकार की भी भूमिका के संबंध में भी पूछा। याची के अधिवक्ता नकवी ने कोर्ट को बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट व मसाजिद कमेटी के बीच कोई विवाद नहीं है।
प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट के तहत वाराणसी अदालत में दाखिल सिविल वाद की ग्राह्यता पर याचियों की सीपीसी के आदेश 7 नियम 11के तहत दाखिल आपत्ति निरस्त करने की वैधता को हाई कोर्ट में दायर इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने परिसर का सर्वे करने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा रखी है।