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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस स्थानांतरित किए जाने पर मसाजिद कमेटी को आपत्ति, पढ़िए क्या है पूरा मामला

ज्ञानवापी मामले में मुख्य न्यायाधीश द्वारा केस स्थानांतरित किए जाने संबंधी आदेश पर कमेटी की तरफ से आपत्ति उठाई गई है। कहा गया है कि केस स्थानातंरण को लेकर याचियों की तरफ से आपत्ति नहीं उठाई गई है और न ही यह कहा गया कि केस स्थानांतरित कर दिया जाए। कोर्ट अपने आदेश से इस लाइन को हटाए कि याची के अधिवक्ता की ओर से स्थानांतरण की अर्जी दी गई।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 19 Sep 2023 08:15 AM (IST)
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ज्ञानवापी केस स्थानांतरित किए जाने पर मसाजिद कमेटी को आपत्ति, पढ़िए क्या है पूरा मामला

विधि संवाददाता, प्रयागराज : ज्ञानवापी मामले में मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर द्वारा केस स्थानांतरित किए जाने संबंधी आदेश पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से आपत्ति उठाई गई है।

कहा गया है कि केस स्थानातंरण को लेकर याचियों की तरफ से आपत्ति नहीं उठाई गई है और न ही यह कहा गया कि केस स्थानांतरित कर दिया जाए। कोर्ट अपने आदेश से इस लाइन को हटाए कि याची के अधिवक्ता की ओर से स्थानांतरण की अर्जी दी गई।

25 सितंबर के बाद होगी केस की अगली सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर के बाद की तिथि तय करने का आदेश दिया है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि याचियों की तरफ से केस न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कोर्ट से स्थानांतरित करने की मांग में कोई अर्जी नहीं दी गई है।

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इसके बावजूद कोर्ट के आदेश में याचियों की तरफ से केस वापसी के लिए अर्जी देने का उल्लेख है। उस वकील के नाम की जानकारी याची को नहीं है। हालांकि याची की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश केस की सुनवाई करें, इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी व अजय कुमार सिंह ने हलफनामे के पैरा 10का उल्लेख किया और पक्ष रखा। इससे पूर्व न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने इस मामले में 75 दिन तक सुनवाई की थी और निर्णय सुनाने के लिए 28 अगस्त की तिथि तय की थी।

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निर्णय सुनाए जाने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने अपनी अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करते हुए 16 अगस्त को केस अपनी अदालत में स्थानांतरित कर दिया। याची की तरफ से कहा गया कि फैसले की तिथि तय हो तो केस स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया।

यह है मामला

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दायर पांच याचिकाओं की सुनवाई चल रही है। तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता से जुड़ी हैं। दो अन्य परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआई) सर्वेक्षण करने के आदेश के खिलाफ हैं।

वर्ष 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर को मंदिर बताते हुए हिंदुओं को सौंपने और वहां पूजा अर्चना की अनुमति की मांग है। वाराणसी की अदालत मुकदमे को सुन सकती है अथवा नहीं, यही हाई कोर्ट को तय करना है।

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