Move to Jagran APP

जब निजी, लोक संपत्ति व व्यक्ति को क्षति नहीं तो किसके आदेश पर लाठीचार्ज, हापुड़ कांड पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

Hapur Case हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज मामले में एसआइटी ने सोमवार को अपनी अंतरिम जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत की। कोर्ट ने कई सवाल उठाए। पूछा जब निजी व लोक संपत्ति तथा व्यक्ति को क्षति नहीं पहुंची तो किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया गया? इसका रिपोर्ट में जिक्र क्यों नहीं है? अगली सुनवाई की तिथि 12 अक्तूबर को पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 19 Sep 2023 08:30 AM (IST)
Hero Image
जब निजी, लोक संपत्ति व व्यक्ति को क्षति नहीं तो किसके आदेश पर लाठीचार्ज
विधि संवाददाता, प्रयागराज: हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज मामले में एसआइटी ने सोमवार को अपनी अंतरिम जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत की। कोर्ट ने कई सवाल उठाए।

पूछा, जब निजी व लोक संपत्ति तथा व्यक्ति को क्षति नहीं पहुंची तो किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया गया? इसका रिपोर्ट में जिक्र क्यों नहीं है? सिर से खून बहते वकील थाने गए, मगर मेडिकल नहीं कराया गया, प्राथमिकी दर्ज नहीं की, उनके पास हथियार नहीं थे। कोर्ट ने पूछा कि जांच में कितना समय लगेगा?

अगली सुनवाई की तिथि 12 अक्तूबर को पूरी जानकारी देने का आदेश दिया। प्रकरण में जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने की।

इसे भी पढ़ें: यूपी पुलिसकर्मियों के लिए खुशखबरी, आवास निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत, पहली किस्त जारी

राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार सण्ड, दूसरी तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता वीपी श्रीवास्तव, आरके ओझा, अनिल तिवारी अमरेंद्र नाथ सिंह तथा बार के महासचिव नितिन शर्मा ने पक्ष रखा।

कोर्ट ने कहा कि एसआइटी ने जांच में कई पहलुओं को छोड़ दिया है। पुलिस टीम से पूछे गए सवालों के जवाब फोन कर देने की अनुमति दी। शासकीय अधिवक्ता सण्ड ने बहस के दौरान ही पुलिस अधिकारी को फोन मिलाकर काफी देर तक जानकारी ली और कोर्ट के सवालों के जवाब दिए।

इसे भी पढ़ें: पुलिसकर्मियों के सपूतों ने बीच चौराहे पर की फायरिंग और बमबारी, हाथ के उड़े चीथड़े; पढ़ें पूरा मामला

बताया कि अधिवक्ताओं की 22 शिकायतें मिलीं। इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक प्राथमिकी दर्ज कर सभी 22 प्राथमिकियों को संबद्ध कर दिया गया है। हापुड़ बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि जिस अधिवक्ता प्रियंका त्यागी से घटना की शुरुआत हुई, पुलिस ने उसकी शिकायत की नहीं दर्ज की।

अधिवक्ताओं ने किया था शांतिपूर्वक प्रदर्शन

प्रियंका ने सीएम पोर्टल पर पुलिस की शिकायत की तो पुलिस ने उनके बुजुर्ग पिता को हिरासत में लेकर लाकअप में डाल दिया। अधिवक्ताओं ने विरोध किया और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। इसके लिए 48 घंटे का समय दिया, लेकिन पुलिस ने बात नहीं सुनी। इसके बाद अधिवक्ताओं ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया।

जब वे अपने घर जाने की तैयारी में थे तभी पुलिस ने पहुंचकर लाठीचार्ज कर दिया। तिवारी ने 2004 में हाई कोर्ट में पुलिस कार्रवाई की याद दिलाई। कहा कि जनहित याचिका आज भी लंबित है।

पीठ ने पूछा कि क्या कोई पुलिस आफिसर आए हैं? इसका जवाब नहीं में मिला। बताया गया कि केस जांच के लिए मेरठ स्थानांतरित कर दिया गया है। एसपी क्राइम की अध्यक्षता में तीन पुलिस अधिकारियों की टीम जांच कर रही है। छह सितंबर को वकीलों की प्राथमिकी लिखी गई और सात सितंबर को पहला पर्चा काटा गया।

कोर्ट ने पूछा, कितने अधिवक्ताओं को चोटें आई हैं, कितनों का 161 का बयान लिया गया। जवाब दिया गया कि इंस्पेक्टर का स्थानांतरण कर दिया गया। सीओ सहित कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। एक अधिवक्ता का बयान दर्ज हुआ है। वकील सहयोग नहीं कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: ज्ञानवापी केस स्थानांतरित किए जाने पर मसाजिद कमेटी को आपत्ति, पढ़िए क्या है पूरा मामला

अनिल तिवारी ने इंस्पेक्टर को किसी दूसरे जिले में स्थानांतरित करने की मांग की। कहा कि निलंबन और बर्खास्तगी का मामला नहीं बल्कि पुलिस की मन: स्थिति को बदलने की जरूरत है क्योंकि, पुलिस कानून कोलोनियल जमाने के हैं। पुलिस के सबसे बड़े अफसर को यहां तलब किया जाए।

बार कौंसिल के अधिवक्ताओं ने कहा, पुलिस की ड्यूटी है साक्ष्य इकट्ठा करें। कोर्ट ने कहा, जांच रिपोर्ट देखने से निष्पक्षता भरोसे लायक नहीं है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।