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नुकसानदायक नमकीन बनाने और बाजार में बेचने वालों पर कार्रवाई करे सरकार: हाई कोर्ट

High Court News इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जानवरों के चारे के नाम पर नीलाम की गई ब्रांडेड कंपनियों की अस्वीकृत नमकीन को खुले बाजार में बेचने पर रोक लगाई है। कोर्ट ने इसे मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को ऐसी नमकीन बनाने और आपूर्ति करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 12 Sep 2024 11:40 AM (IST)
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नमकीन में मिलावट की बिक्री पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्‍त। जागरण
 विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। जानवरों के चारे के नाम पर नीलाम की गई ब्रांडेड कंपनियों की अस्वीकृत नमकीन में कुछ नई नमकीन मिलाकर उसकी खुले बाजार में बिक्री को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना है।

कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से ऐसी नमकीन बनाने व आपूर्ति में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही कृत कार्रवाई को लेकर शपथपत्र मांगा है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति एके सिंह देशवाल की खंडपीठ ने स्वत:कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नमकीन खुले बाजार में बेचने की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय, खाद्य एवं लोक वितरण नई दिल्ली को पक्षकार बनाने का आदेश दिया और अपर सालिसिटर जनरल से अगली तिथि पर केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में की गई कार्रवाई रिपोर्ट के साथ उपस्थित रहने का अनुरोध किया।

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राज्य सरकार की तरफ से अपर शासकीय अधिवक्ता ने खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी कानपुर, बरेली व कमिश्नर खाद्य एवं आपूर्ति, ड्रग प्रशासन उप्र द्वारा पिछले आदेश के अनुपालन संबंधी हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव खाद्य एवं सिविल आपूर्ति से इस संबंध में की गई कार्रवाई का हलफनामा मांगा है।

अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी ने अर्जी देकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। कोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार कर उन्हें आंकड़ों के साथ पक्ष रखने के लिए कहा है। आरोप है कि ब्रांडेड कंपनियों की नमकीन अस्वीकार कर दी जाती है तो वे उन्हें जानवरों के चारे के लिए नीलाम करती हैं।

इसी नमकीन को खरीद कर इसमें दूसरी नमकीन मिलाकर पैकिंग कर बाजार में बेचा जा रहा है। कोर्ट का कहना है कि यह मानव उपयोग के लायक नहीं है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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कोर्ट ने जनहित याचिका का दायरा बढ़ाते हुए कहा कि यह कुछ जिलों नहीं पूरे देश का विषय है। इसलिए भारत सरकार इसमें लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे व कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जानकारी दे।

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