Heat wave का असर: दिमाग में चढ़ रही गर्मी, बात-बात पर आ रहा गुस्सा
उत्तर प्रदेश में लोग भयंकर गर्मी से परेशान हो रहे हैं। ऐसे में काल्विन अस्पताल के मानसिक रोग चिकित्सक डा. राकेश पासवान ने बताया कि अधिक गर्मी के चलते हार्मोन टेस्टेस्टोराॅन तथा डोपामिन की अधिकता हो जाती है इन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। इसका सीधा असर दिमाग पर होता है। प्रभावित लोगों को दिमाग शांत रखने की दवाएं दे रहे हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। काल्विन अस्पताल में 37 वर्षीय ई-रिक्शा चालक दीपेश कुमार (काल्पनिक नाम) को उसका बड़ा भाई लेकर पहुंचा। हाथ रस्सी से बांधे गए थे और दीपेश काफी तैश में था। मनोचिकित्सक को बताया गया कि करीब एक सप्ताह से उसकी ऐसी हालत हो गई है। उससे पहले ठीक था।
एसआरएन अस्पताल के मानसिक रोग की ओपीडी में नैनी से शीला कुमारी (काल्पनिक नाम) को लाया गया। तीमारदार ने बताया कि वह रात में सो नहीं रही है दिन भर गुस्से में रहने लगी है। बात-बात पर चिढ़ रही है। गर्मी में मनोचिकित्सकों की ओपीडी में ऐसे मरीजाें की संख्या तेजी से बढ़ी है।
दरअसल भीषण गर्मी ने लोगों का दिमाग खराब करना शुरू कर दिया है। चिड़चिड़ेपन, उन्माद और बात-बात पर आक्रोश में आ रहे लोग मानसिक रोगियों के जैसे व्यवहार करने लगे हैं। एंजाइटी बढ़ रही है तो झगड़े की प्रवृत्ति से घर के लोग परेशान हैं। चिकित्सक इस स्थिति को 'सीजनल इफेक्ट डिस्आर्डर' बता रहे हैं। दिमाग को शांत रखने वाली दवाएं दी जा रही हैं।
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दो गुना बढ़ी संख्या
06 गुस्सैल मरीज प्रति सप्ताह आते हैं काल्विन में
15 मरीजाें का इन दिनों हो गया है औसत
10 गुस्सैल प्रवृत्ति के मरीज प्रति सप्ताह लाए जाते हैं एसआरएन
22 मरीज (औसत) हो चुकी है संख्या
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भरपूर नींद है जरूरी
गर्मी से मस्तिष्क पर पड़ने वाले विपरीत असर से बचने के लिए सात घंटे की नींद जरूरी है। मनोचिकित्सकों के सामने जाे मरीज आ रहे हैं उनके बारे में तीमारदारों से जानकारी मिल रही है कि गर्मी के चलते आधी रात तक नहीं सोते हैं।
सड़क पर रहने वाले ज्यादा प्रभावित
ई-रिक्शा चालक, ठेलिया वाले, फुटपाथ के दुकानदार, धूप में कामकाज के लिए अधिकांश समय बाइक से दौड़भाग करने वालों के मस्तिष्क पर गर्मी का दुष्प्रभाव ज्यादा पड़ रहा है। ऐसे मरीजों को दिमाग शांत रखने वाली दवाएं देकर घर भेजा जा रहा है।
एसआरएन अस्पताल के मानसिक रोग चिकित्सक डा. अनुराग वर्मा बताया कि गर्मी में लोग हाइपर हो रहे हैं। एंजाइटी बढ़ रही है। रात में नींद न आना, दिन में भी आराम न करने से उन्माद की स्थिति बढ़ रही है।