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सूती और खादी कपड़ों का हर्बल कवच बैक्टीरिया को करेगा बेअसर, शुआट्स की शोध छात्रा ने कवच बनाने में पाई सफलता

शुआट्स की शोध छात्रा ने हर्बल अर्क से सूती व खादी कपड़ों पर रोगाणुरोधी कवच बनाने में सफलता पाई है। पपीता एलोवेरा नीम केला और भांग के अर्क से तैयार माइक्रो कैप्सूल कपड़ों को रोगाणुरोधी बनाएगा। शोध करने वाली कोमल द्विवेदी ने बताया कि अध्ययन का मुख्य उद्देश्य हर्बल अर्क के प्रयोग से कपड़े तैयार करने के साथ इनका स्टैफिलोकोकस आरियस और क्लेबसिएला निमोनिया बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभाव देखना था।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 15 Sep 2023 01:14 PM (IST)
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कपड़ों के रेशे से चिपके माइक्रो कैप्सूल। -जागरण
प्रयागराज, मृत्युंजय मिश्र। कपास एक प्राकृतिक फाइबर है, जो दुनिया भर में कपड़ों के निर्माण के लिए सबसे लोकप्रिय है। प्राकृतिक फाइबर होने के कारण कपास को नमी, रोगाणुओं तथा सूर्य के प्रकाश से नुकसान पहुंचता है। पसीने की वजह से पनपने वाले बैक्टीरिया सूती और खादी कपड़ों के जल्द खराब होने और इसमें दुर्गंध की वजह बनते हैं। इससे बचाने के लिए सिंथेटिक रोगाणुरोधी पदार्थों का उपयोग किया जाता है पर इसके पर्यावरण और धारण करने वाले लोगों पर दुष्प्रभाव भी है। ऐसी रासायनिक फिनिशिंग के स्थान पर सैम हिग्गिनबाटम कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के विज्ञानियों ने हर्बल अर्क का उपयोग करके सूती और खादी कपड़े पर पर्यावरण अनुकूल रोगाणुरोधी फिनिशिंग करने में सफलता पाई है।

25 बार धुलाई तक बैक्टीरिया से कपड़ों की रक्षा करने में कारगर पाया गया यह हर्बल कवच

25 बार धुलाई तक यह हर्बल कवच बैक्टीरिया से कपड़ों की रक्षा करने में कारगर पाया गया है। यह शोध इंडियन जर्नल आफ फाइबर एंड टेक्सटाइल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। शुआट्स के कपड़ा और परिधान डिजाइनिंग विभाग की शोध छात्रा कोमल द्विवेदी ने डा. एकता शर्मा के निर्देश में अपना शोध पूरा किया है। वर्तमान अध्ययन नीम, पपीता, बेल, पेरीविंकल, मोरिंगा (सहजन) और पेपरमिंट (मेंथा पिपेरिटा) का उपयोग करके सूती और खादी कपड़ों की रोगाणुरोधी परिष्करण विकसित करने के लिए किया गया था।

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यह था अध्ययन का उद्देश्य

कोमल द्विवेदी ने बताया कि अध्ययन का मुख्य उद्देश्य हर्बल अर्क के प्रयोग से कपड़े तैयार करने के साथ इनका स्टैफिलोकोकस आरियस और क्लेबसिएला निमोनिया बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभाव देखना था। इस क्रम में कपड़ों पर रोगाणुरोधी कवच बनाने के लिए हर्बल अर्क से माइक्रोकैप्सूल विकसित किए गए। अर्क का कपड़ों पर सीधे और माइक्रोकैप्सूल दोनों विधियों से फिनिशिंग की गई। दोनों में ही बैक्टीरिया पर कारगर मिले। 25 चरणों की धुलाई में हर्बल फिनिशिंग बैक्टीरिया के खिलाफ कारगर पाई गई। हर्बल अर्क व माइक्रो कैप्सूल से उपचारित कपड़ों में अच्छे माइक्रोबियल गुण पाए गए।

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तकिए व बेबी डायपर में हो सकता है उपयोग

कपास के प्रयोग खादी और सूती वस्त्र के साथ तकिया कवर, बेबी डायपर, हाथ के दस्ताने भी बनते हैं। ऐसे में हर्बल अर्क से तैयार रोगाणुरोधी फिनिशिंग से बैक्टीरिया संक्रमण से भी बचाव हो सकेगा। अन्वेषक ने तकिया कवर, बेबी डायपर, हाथ के दस्ताने, शर्ट के नीचे, मास्क, बांह के नीचे स्वेट पैड विकसित करने का निर्णय लिया है। साथ ही कहा कि विभिन्न पौधों के अर्क से नैनो कैप्सूल भी विकसित किया जा सकता है। साथ ही औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ रोगाणुरोधी फिनिश के प्रभाव का सिंथेटिक कपड़ों पर भी अध्ययन का सुझाव दिया है।

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