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EOW से हाईकोर्ट नाराज, लंबित जांचों पर ईओडब्ल्यू के महानिदेशक से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने EOW की सुस्ती पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने ईओडब्ल्यू के लंबित मामलों पर नाराजगी जाहिर करते हुए महानिदेशक से जवाब मांगा है। कोर्ट ने महानिदेशक को 16 दिसंबर तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता को इस आदेश से डीजीपी को भी अवगत कराने के लिए कहा है।

By Sakshi Gupta Edited By: Sakshi Gupta Updated: Wed, 13 Nov 2024 08:53 PM (IST)
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हाईकोर्ट ने EOW के महानिदेशक से जवाब मांगा है। (तस्वीर जागरण)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की तरफ से की जा रही कई मामलों की जांच में देरी पर नाराजगी जताई है। न्यायालय ने पाया है कि सामान्यतः ईओडब्ल्यू की ओर से मामलों को वर्षों तक लंबित रखा जाता है।

महानिदेशक ईओडब्ल्यू प्रशांत कुमार प्रथम को कोर्ट ने 16 दिसंबर तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसी दिन अगली सुनवाई होगी। यह भी स्पष्ट करने के लिए कहा कि है कि लंबे समय से जांच क्यों लंबित है? इसके कारण, उत्तरदायी कर्मचारी तथा जांच के शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।

न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता को इस आदेश से डीजीपी को भी अवगत कराने के लिए कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मोहम्मद हारुन की तरफ से दायर अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार, याची के खिलाफ 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले की जांच लंबे समय से लंबित है।

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एक अन्य पीठ ने जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ तलब किया और निर्देश दिया कि उसके आदेश से डीजीपी को सूचित किया जाए। इस वर्ष मार्च में न्यायालय ने राज्य को इस मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। न्यायमूर्ति समित गोपाल की बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने पाया कि राज्य सरकार ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। राज्य सरकार के वकील को भी डीजीपी के कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला।

न्यायालय ने पाया कि आर्थिक अपराध शाखा में जांच वर्षों तक लंबित रहती है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि अगली तारीख तक या सक्षम न्यायालय के समक्ष पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक जो भी पहले हो आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे निजी मुचलके पर अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने डीजीपी से भी हलफनामा मांगा है।

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