'नवरात्र है तो उर्स मनाने से मना नहीं कर सकते', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया सिटी मजिस्ट्रेट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सिटी मजिस्ट्रेट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उर्स के लिए इजाजत नहीं दी गई थी। कोर्ट ने कहा- नवरात्र के त्योहार लिए किसी दूसरे समाज के धार्मिक आयोजन को रोका नहीं जा सकता है। दरअसल जरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां की मौत पर समाज के कुछ लोग उर्स निकालने की इजाजत मांग रहे थे।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि नवरात्र के त्यौहार की वजह से किसी दूसरे समुदाय को उसका धार्मिक आयोजन करने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने सिटी मजिस्ट्रेट बरेली के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें उन्होंने 'सकलैन मियां' के अनुयायियों को आठ और नौ अक्टूबर को उर्स मनाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।
कोर्ट ने कहा याची 20 एकड़ के कॉलेज कैंपस के भीतर ही उर्स मनाना चाहते है। साफ कहा है कि वे जुलूस नहीं निकालेंगे। कहा अदालत किसी को त्योहार मनाने की अनुमति नहीं दे सकती, यह प्रशासन का काम है। इसलिए प्रकरण इस आशय से वापस भेजा जा रहा है कि सिटी मजिस्ट्रेट याची को सुनकर उससे लिखित आश्वासन लेकर तर्कसंगत आदेश पारित करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने आस्तान-ए-आलिया सकलैनिया शराफतिया व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
प्रशासन से मांगी गई थी उर्स मनाने की इजाजत
मामले के अनुसार, बरेली में हजरत शाह शराफत अली के पोते हजरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां की मृत्यु 20 अक्टूबर 2023 को हुई थी। उन्हें एक सूफी विद्वान माना जाता है। बरेली के आस-पास उनके काफी अनुयायी हैं। सूफियों के बीच प्रचलित धार्मिक प्रथा के अनुसार उनका पहला उर्स आठ और नौ अक्टूबर 2024 को मनाया जाना है।
सिटी मजिस्ट्रेट बरेली ने उर्स मनाने की अनुमति देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि यदि उर्स मनाने की अनुमति दी जाती है तो बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। इससे नई प्रथा शुरू हो जाएगी। तीन अक्टूबर से नवरात्र चल रही है। शहर के विभिन्न हिस्सों में कई दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित किए जाएंगे। यदि उर्स मनाने की अनुमति दी गई तो "चादरों का जुलूस" तेज संगीत के साथ निकाला जाएगा।
प्रशासन ने क्यों नहीं दी थी अनुमति?
पिछले महीने आला हजरत दरगाह और शराफत मियां दरगाह के अनुयायियों के बीच जुलूस के लिए अपनाए जाने वाले मार्ग को लेकर टकराव हुआ था। कई संगठनों ने आपत्ति की है। ऐसे में प्रशासन की ओर से ऐसी कोई भी अनुमति न देने का निर्देश जारी किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट बरेली ने आवेदन को एक नई धार्मिक प्रथा स्थापित करने की मांग के रूप में पढ़ने में गलती की है। नवरात्र के दौरान उर्स का आयोजन हो रहा है, सिर्फ इस आधार पर सूफियों को धार्मिक आयोजन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। याची ने आश्वासन दिया कि वह "चादरों का जुलूस" सार्वजनिक सड़कों, रास्तों आदि पर नहीं निकलेंगे।इसे भी पढ़ें: देवरिया में छात्राओं के साथ छेड़खानी करने वाले दो आरोपितों को लगी गोली, मुठभेड़ में गिरफ्तार
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