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UP News: ग्रेजुएट होते ही युवाओं को इंडस्ट्री-रेडी बनाएगा आइआइआइटी! कब-कहां और कैसे? पढ़ें यहां

UP News आइआइआइटी में आयोजित तीन दिवसीय सिल्वर जुबली ग्लोबल एलुमनी मीट में निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने छात्रों को स्नातक होते ही उद्योग के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एक इंडस्ट्री-ड्रिवन सेंटर (उद्योग-प्रेरित केंद्र) की स्थापना का प्रस्ताव रखा। यह केंद्र उद्योगों के साथ मिलकर काम करेगा जहां उद्योग विशेषज्ञ और संकाय सदस्य मिलकर नए पाठ्यक्रम और प्रोजेक्ट का विकास करेंगे।

By mritunjay mishra Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 29 Sep 2024 07:23 PM (IST)
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UP News: भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी)। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, प्रयागराज । UP News: भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी) में आयोजित तीन दिवसीय सिल्वर जुबली ग्लोबल एलुमनी मीट में निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने एक महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किया। उन्होंने छात्रों को स्नातक होते ही उद्योग के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एक इंडस्ट्री-ड्रिवन सेंटर (उद्योग-प्रेरित केंद्र) की स्थापना का प्रस्ताव रखा।

यह केंद्र उद्योगों के साथ मिलकर काम करेगा, जहां उद्योग विशेषज्ञ और संकाय सदस्य मिलकर नए पाठ्यक्रम और प्रोजेक्ट का विकास करेंगे। इस केंद्र में छात्र नवीनतम तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग (एमएल), डेटा साइंस, इंटरनेट आफ थिंग्स व साइबर सिक्योरिटी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करेंगे। यह केंद्र उद्योगों के साथ सीधा सहयोग करेगा और छात्रों को उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षित करेगा।

छात्रों को तकनीकी और प्रबंधन कौशल से लैस करना उद्देश्य

प्रो. सुतावने ने बताया कि इसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों को ऐसी तकनीकी और प्रबंधन कौशल से लैस करना है, जिससे वे स्नातक होते ही उद्योगों में योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। तेज़ी से बदलती तकनीकी दुनिया में इंडस्ट्री-रेडी कौशल का होना अत्यंत आवश्यक है और यह केंद्र इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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इसके साथ ही, छात्रों को उद्योगों में इंटर्नशिप और लाइव प्रोजेक्ट्स पर काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपनी पढ़ाई के दौरान ही उद्योगों की आवश्यकताओं और चुनौतियों को समझ सकें। इससे उनका कौशल को बेहतर होगा और वास्तविक उद्योग अनुभव भी मिलेगा।

इंडस्ट्री-अकादमिक कान्क्लेव

यह भी प्रस्ताव दिया कि इस केंद्र में इंडस्ट्री-अकादमिक कान्क्लेव का आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा। इससे न केवल छात्रों को मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि संस्थान को भी उद्योगों की वर्तमान चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। डीन प्रो. अनुपम अग्रवाल ने पुरा छात्रों से संस्थान का समर्थन जारी रखने और नए साझेदारियों के लिए समझौता ज्ञापनों को औपचारिक रूप देने का आह्वान किया।

समय की सर्वोत्तम उपयोग पर जोर देने की सीख

कार्यक्रम में विभिन्न उद्योगों में कार्यरत पूर्व छात्रों ने भी अपने विचार साझा किए। पुरा छात्र शिवम ने छात्रों को समय के सर्वोत्तम उपयोग पर जोर दिया, जिससे वे उद्योग के लिए तैयार हो सकें। दूरसंचार विभाग में इंजीनियर सतीश कुमार ने इको-स्टार्टअप संस्कृति पर प्रकाश डाला। पुनीत आर सहारे स्वचालित समाधान पर चर्चा की।

बिंदेश पांडे ने छात्रों को कोडिंग के साथ-साथ प्रबंधन कौशल में निपुण बनाने पर जोर दिया, ताकि वे उद्योग के लिए अधिक रोजगार योग्य बन सकें।इसके अलावा, अमरीक सिंह, मदन कुमार पर्नाती, मनु शर्मा, रोहित श्रीवास्तव, शकील अहमद, और शैलेन्द्र सक्सेना जैसे उद्योग विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए।

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अंत में विभिन्न उद्योग प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग पर अपने विचार रखे। आइ-3 सिमुलेशन के सह-संस्थापक देवी कोल्ली ने हेल्थकेयर सेवाओं में एक्सटेंडेड रियलिटी सिमुलेशन के क्रांतिकारी परिवर्तन पर चर्चा की।

स्टार्टअप संस्कृति विकसित करने पर जाेर

प्रो. जीसी. नंदी ने संस्थान और उद्योग के बीच साझेदारी को भविष्य के सतत विकास के लिए संस्थान की प्रतिभाओं और संसाधनों का उपयोग करके इन-हाउस इंडस्ट्रीज बनाने का एक तरीका बताया। चौथे वर्ष के बीटेक छात्रों के लिए स्टार्टअप संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रो. यूएस तिवारी ने एलएलएम, सूचना पुनर्प्राप्ति और डिजिटल लाइब्रेरी जैसे क्षेत्रों में मानक पेटेंटिंग पर चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. ओपी व्यास ने एमओयू के व्यावहारिक पहलुओं पर अपने अनुभव साझा किए, जबकि प्रो. माधवेंद्र मिश्रा ने एमओयू प्रक्रियाओं पर चर्चा की।

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